पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में महामुनिराज को राजा श्रेयांस ने दिया आहार

भिण्ड, 16 जनवरी। भारत गौरव गणाचार्य विराग सागर महाराज एवं मेडिटेशन गुरू विहसंत सागर महाराज के सानिध्य में चल रहे श्री 1008 मज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ में रविवार को सुबह 10 बजे महामुनिराज आदिकुमार की आहार चर्या हुई, जिसमें राजा श्रेयांस ने गन्ने के रस से आहार दिया।
इस अवसर पर गणाचार्य विराग सागर महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वैशाख शुक्ल तृतीया का बहुत बड़ा महत्व है, इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, जैन दर्शन में इसे श्रमण संस्कृति के साथ युग का प्रारंभ माना जाता है, जैन दर्शन के अनुसार भरत क्षेत्र में युग का परिवर्तन भोग भूमि व कर्म भूमि के रूप में हुआ। भोग भूमि में कृषि व कर्मों की आवश्यकता नहीं, उसमें कल्पवृक्ष होते हैं, जिससे प्राणी को मनवांछित पदार्थों की प्राप्ति हो जाती है, कर्म भूमि युग में कल्पवृक्ष भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं और जीविकों को कृषि आदि पर निर्भर रह कर कार्य करने पड़ते हैं। भगवान आदिनाथ इस युग के प्रारंभ में प्रथम जैन तीर्थंकर हुए।


आचार्यश्री ने कहा कि प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव आदिनाथ दीक्षापरांत मुनि मुद्रा धारण कर छह माह मौन साधना करने के बाद प्रथम आहारचर्या हेतु निकले, तीर्थंकर क्षुधा वेदना को शांत करने के लिए आहार को नहीं निकलते, अपितु लोक में आहार दान अथवा दान तीर्थ परंपरा का उपदेश देने के निमित्त से आहार हेतु निकलते हैं। भगवान ऋषभदेव के समय चूंकि आहारदान परंपरा प्रचलित नहीं थी, इसलिए पडग़ाहन की उचित विधि के अभाव होने से वे सात माह नौ दिन तक निराहार रहे, एक बार वे आहारचर्या हेतु हस्तिनापुर पधारे उन्हें देखते ही राजा श्रेयांस को पूर्व भव स्मरण हो गया, जहां उन्होंने मुनिराज को नवधाभक्ति पूर्वक आहारदान में इक्षुरस अर्थात् गन्ने का रस से आहार कराया।

पंचकल्याणक में हुई समोशरण की रचना

गणाचार्य विराग सागर महाराज एवं विहसंत सागर महाराज के सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्साव में शाम की सभा में समोशरण की रचना की गई, जिसमें गणाचार्य विराग सागर महाराज ने बैठकर शंका समाधान किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में समवशरण सबको शरण तीर्थंकर के दिव्य उपदेश भवन के लिए प्रयोग किया जाता है। समोशरण दो शब्दों के मेल से बना है, सम अर्थात् सबको और अवसर जहां सबको ज्ञान पाने का समान अवसर मिले वह है समवशरण, यह तीर्थंकर के केवल ज्ञान प्राप्ता करने के पश्चात बनाया जाता है। वहां पर उपस्थित जनों ने अपनी-अपनी शंकाओं के समाधान के लिए गणाचार्य से प्रश्न पूछे और उन्होंने उनका समाधान किया। उक्त आयोजन में गुरूसेवा संगठन, महिला मण्डल, अहिंसा ग्रुप, भदावर प्रांतिक दिगंबर जैन महासभा, खरौआ महासमिति, विराग विद्यापीठ, कीर्तिस्तंभ मन्दिर कमेटी, प्रज्ञसंघ, ब्लैक कमाण्डो आदि ने सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर विधायक संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस नेता देवाशीष जरारिया, सेवादल कांग्रेस अध्यक्ष संदीप मिश्रा, संजय जैन मेहगांव उपस्थित थे।