निर्देश के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करना कोर्ट की अवमानना : न्यायालय

– पॉस्को केस में लापरवाही पर देहात थाना प्रभारी के खिलाफ न्यायालय में परिवाद

भिण्ड, 09 जुलाई। जिला न्यायालय में सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने न्यायालय के निर्देश के बाद भी एफआईआर दर्ज न करने पर देहात थाना प्रभारी मुकेश कुमार शाक्य के खिलाफ परिवाद पेश कर कार्यवाही शुरू कर दी है। न्यायालय ने कहा है कि यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है, जो दण्डनीय अपराध है।
मामला विशेष सत्र न्यायालय में विचाराधीन पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज अपराध क्र.500/2024 से संबंधित है। सुनवाई के दौरान पीडिता की उम्र से जुडे तीन अलग-अलग दस्तावेज अदालत में पेश किए गए थे। ये दस्तावेज उपनिरीक्षक रत्ना जैन द्वारा कोर्ट में सौंपे गए थे, जिससे मामले में भ्रम की स्थिति बन गई। इस विचाराधीन मामले में 21 मार्च 2025 को न्यायालय ने कहा था कि उम्र से जुडे जो दस्तावेज न्यायालय में पेश किए गए हैं, उनमें कूट रचना की आशंका है। इसलिए इस आधार पर एफआईआर दर्ज कर रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी जाए। बावजूद इसके 8 जुलाई तक न तो थाना प्रभारी और न ही विवेचक ने कोई कार्रवाई की। न्यायालय ने इसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के तहत गंभीर लापरवाही मानते हुए टिप्पणी में कहा कि देहात थाना प्रभारी ने जान बूझकर न्यायालय के विधिक आदेशों की अवहेलना की है। इस संबंध में देहात थाना प्रभारी मुकेश शाक्य का कहना है कि न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा।