– एक लाख का जुर्माना एवं पीडिता को पांच लाख रुपए की प्रतिकर सहायता देने का आदेश
ग्वालियर, 08 जुलाई। अनन्यत: विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) एवं एकादशम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट जिला ग्वालियर तरुण सिंह की अदालत ने रिश्तों को कलंकित करने वले वालो कलयुगी फूफा आरोपी पूरन कुशवाह उम्र 40 वर्ष निवासी गिरवाई, जिला ग्वालियर को सत्र प्रकरण क्र.120/2024 धारा 5जे(2), सहपठित धारा 6 पॉक्सो अधिनियम 2012 के अधीन आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक) एवं एक लाख रुपए अर्थदण्ड, धारा 506 भाग-2 भादंसं में एक वर्ष कठोर कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है एवं पीडिता व उसके शिशु को पांच लाख रुपए प्रतिकर एवं सहायता राशि प्रदान करने हेतु आदेशित किया गया है।
अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक आशीष राठौर ने प्रकरण की जानकारी देते बताया कि पीडिता की बुआ की एफआईआर दिनांक से लगभग 5 वर्ष पूर्व मृत्यु हो गई थी, तभी से उसका फूफा/ आरोपी ग्राम सौजना से अपने तीनों बच्चों को लेकर उनके घर पर रहने के लिए आ गया था। आरोपी उनके घर पर रहकर कारीगरी का काम करता था। एफआईआर 4 मई 2024 से लगभग 3 वर्ष पूर्व पीडिता के माता-पिता एवं बडी बहन किसी काम से बाहर चले गए थे तब उसे घर में अकेला देखकर आरोपी ने उसके साथ जबरदस्ती गलत काम किया और उसके विरोध करने पर उसे धमकी दी कि यदि तूने यह बात किसी को बताई तो तेरे माता-पिता एवं भाई-बहन को जान से खत्म कर दूंगा। डर के कारण उसने फूफा की गंदी हरकत के बारे में किसी को नहीं बताया। पूरन कुशवाह उसके साथ जब भी मौका मिलता, उसे पकडकर गलत काम दुष्कर्म करता था। पीडिता का पेट फूलने के कारण 2 मई 2024 को उसके परिवार उसे मुरार सरकारी अस्पताल में चिकित्सक के पास ले गए जहां चिकित्सक ने चैक करके बताया कि उसके पेट में 7 माह का गर्भ है। पीडिता की मां एवं चाची ने उससे जोर देकर पूछा तो उसने पूरी घटना अपने परिवारजन को बताई। पीडिता का आवेदन पत्र थाना गिरवाई में प्रस्तुत कर उक्त घटना की एफआईआर दर्ज कराई जो थाना गिरवाई के अपराध क्र.107/2024 अंतर्गत धारा 376(2)(एन), 376(3), 376(1), 376(2)(एफ), 506 भादंसं एवं धारा-3/4, 5एल, 5एन, 5जे(पप), 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 के अधीन आरोपी पूरन कुशवाह के विरुद्ध पंजीबद्ध की गई। विवेचना के दौरान अभियोक्त्री, उसके माता-पिता, चाची के कथन लेखबद्ध किए गए, अभियोक्त्री एवं उसके बच्चे का आरोपी से डीएनए मिलान कराया गया जो पॉजिटिव निकला। विचारण के दौरान अभियोक्त्री ने कथन दिए। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दोषसिद्ध किया है।