– हम जो सीखें उसका देनिक जीवन में उपयोग करें : प्रो. इकवाल अली
– पंचतत्व जीवन के लिए आधार, उसमें से मुख्य तत्व जल : डॉ. तिवारी
– अपने जीवन को सरंक्षित करने के लिए जल को सरंक्षित करना आवश्यक : डॉ. शर्मा
भिण्ड, 26 अप्रैल। डॉ. श्याम बिहारी शर्मा सेवा परिषद ट्रस्ट की अध्यक्षा विद्यावती शर्मा के मार्गदर्शन में जल गंगा संरक्षण अभियान हेतु शहर के अग्रवाल विद्या मन्दिर उमावि में जल संरक्षण विषय पर जागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत जल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु बच्चों के मध्य आयोजन किया गया। जल संवर्धन विषय पर छात्र- छात्राओं द्वारा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. इकबाल अली, मुख्य वक्ता डॉ. साकार तिवारी, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. उमाकांत शर्मा व डॉ. तोषेन्द्र मिश्रा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गीता पाठ के लिए प्रख्यात शिक्षक विष्णु शर्मा ने की तथा मंच संचालन शैलेश सक्सेना ने करते हुए अतिथियों का आभार व्यक्ति किया गया। भाषण प्रतियोगिता में विद्यार्थी मालानी पाराशर, अनमोल श्रीवास, सौरव भदौरिया, अनुराग शर्मा को मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया। अंत में उपस्थित सभी लोगों ने जल संरक्षण के लिए शपथ ली।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. इकबाल अली ने रहीम जी के दोहे रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून। की व्याख्या करते हुए बताया कि जल संरक्षण के लिए हम सभी को जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें, नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें, मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें। ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे अधिक जल की खपत कम हो, सब्जियों तथा फलों को धोने में उपयोग किए गए जल को फूलों तथा सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता हैं, तालाबों, नदियों अथवा समुद्र में कूडा न फेंके। इसके लिए आज से ही प्रयास करना होगा।
मुख्य वक्ता डॉ. साकार तिवारी ने बताया कि आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन पांच तत्वों को वेद भाषा में पंचतत्व कहा जाता है। इसी से शरीर की उत्पत्ति होती है। वैदिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो जल ही मनुष्य का सबसे अहम हिस्सा है। मनुष्य के शरीर में लगभग 70 प्रतिशत जल मौजूद है। उसी तरह जिस तरह धरती के तीन चौथाई हिस्सा जल से भरा हुआ है। तभी कहा गया है कि अन्न के बिना कुछ दिन जीव-जंतु जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल वायु पेड पौधे जीव जंतु सभी को सहेजने का काम करते हुए स्वयं को प्रकृति से नजदीक रखना चाहिए तभी हम सभी स्वस्थ रह सकेंगे।
डॉ. तोषेन्द्र मिश्रा ने कहा कि जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं। प्रदूषित जल पीने, पुन:सृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं है। दूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता जा रहा है। डॉ. उमाकांत शर्मा ने बताया की जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। अगर हम अपने जीवन से प्यार करते है तो हमे जल को सरक्षित रखना ही होगा। कार्यक्रम में भारत विकास परिषद शाखा भिण्ड के जयप्रकाश शर्मा व सचिव राजमणि शर्मा, राजकुमार पचौरी, दुर्गादत्त शर्मा, राधा शर्मा, दीपमाला बंसल, अंकित बंसल, रामराज वर्मा, आकाश परिहार उपस्थित रहे।