बिना योग्यता के चिकित्सीय व्यवसाय करने वाले डॉक्टर को एक वर्ष का सश्रम कारावास

न्यायालय ने लगाया तीन हजार का अर्थदण्ड

विदिशा/गंजबासौदा, 03 दिसम्बर। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी तहसील गंजबासौदा जिला विदिशा श्री राकेश कुमार शर्मा के न्यायालय ने बिना चिकित्सीय योग्यता के चिकित्सीय व्यवसाय करने वाले आरोपी सुरजन हलधर उम्र 53 वर्ष निवासी ग्राम उदयपुर, थाना गंजबासौदा, जिला विदिशा को एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं तीन हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण की पैरवी एडीपीओ गंजबासौदा गोविन्द दास आर्य ने की।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जिला विदिशा सुश्री गार्गी झा के अनुसार अभियोजन की घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि फरियादी डॉ. सुधीर जेसानी ने थाना प्रभारी बासौदा को एक आवेदन पत्र प्रकरण पंजीबद्ध करने बावत् इस आशय का प्रस्तुत किया कि एक नवंबर 2013 को ग्राम उदयपुर में मुरादपुर रोड पोस्ट ऑफिस के पास स्थित डॉ. सुरजन हलधर के क्लीनिक का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उनके पास कोई भी चिकित्सीय योग्यता नहीं थी। साथ ही एलोपैथिक पद्धति से इलाज करते पाए गए, इनके पास बहुत सी एलोपैथिक दवाईयां एवं आई वा फ्लूड रखे पाए गए। इसलिए संबंधित पर नियमानुसार अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने हेतु उक्त आवेदन पत्र पेश किया है। उक्त आवेदन पत्र पर से आरोपी सुरजन के विरुद्ध आरक्षी केन्द्र बासौदा द्वारा अपराध क्र.716/13 धारा मप्र राज्य आर्युविज्ञान परिषद एक्ट 1956-1958 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर मामले को विवेचना में लिया गया। आरोपी के द्वारा बिना चिकित्सीय योग्यता को चिकित्सीय व्यवसाय किया गया है। वर्तमान में इस प्रकार के अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे आम जीवन पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है, जो निश्चित रूप से गंभीर अपराध है, ऐसे में आरोपी को इस न्यायालय की राय में कठोर से कठोर दण्ड दिया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। न्यायालय में विचारण उपरांत आरोपी को गत 29 नवंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी तहसील गंजबासौदा जिला विदिशा श्री राकेश कुमार शर्मा के न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध पाए जाने पर आरोपी सुरजन हलधर को मप्र राज्य आर्युविज्ञान परिषद एक्ट 1987 की धारा 24 के तहत दण्डनीय अपराध में एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीन हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।