गणाचार्य विराग सागर महाराज ससंघ का हुआ भव्य मंगल प्रवेश

स्वागत में उमड़ा जनसैलाव पाद प्रक्षालन के साथ की आरती

भिण्ड, 02 दिसम्बर। गणाचार्य विराग सागर महाराज का गुरुवार को इटावा रोड सिटी कोतवाली से भव्य मंगल प्रवेश हुआ। पूज्य गुरुदेव के आगमन की खुशी में सभी ने अपने अपने द्वार पर सुंदर रंगाली बनाई व पाद प्रक्षालन व आरती कर अपना सौभाग्य जगाया।
चैत्यालय जैन मन्दिर में गणाचार्य विराग सागर महाराज ने प्रवचनों में कहा कि संसार में दो प्रकार के घड़े होते है एक पाप का, एक पुण्य का। जो अच्छे कर्म करता है वह अपने घड़े को पुण्य से भर लेता है और दूसरा वह जो ग्रहस्थ जीवन में रहकर पाप क्रियाओं से अपना घड़ा भरता है। उन्होंने कहा कि ये सत्य है भिण्ड के लोग ज्यादा नहीं समझते लेकिन श्रृद्धा भक्ति भरपूर है चाहे वह कितना गरीब हो या अमीर हो यदि श्रृद्धा भक्ति देखना है तो भिण्ड आकर देखना कि जहां साज चातुर्मास हो चुके हंै, फिर भी ज्यों की त्यों अनवरत् है, अपितु और बढ़ती ही जा रही है। संतजनों के रहने से धार्मिकता की वृद्धि होती है भिण्ड के लोगों ने इतना धर्म कमा लिया है कि यहां संतों का आवागमन होता रहता है। ध्यान रखना सत्संगति सदैव उठाती है, उन्नतशील बनाती है इसलिए आप सदैव अपना पुण्य का घड़ा भरते रहना चाहिए जिससे आपके जीवन में सुख शांति बनी रहे।
उन्होंने कहा कि तीर्थंकर भगवान का समवशरण कभी किसी के कहने या किसी के श्रीफल से विराजमान नहीं होते अपितु व्यक्ति के पुण्य व भाग्य से विराजमान होते है आप सभी लोगों का बड़ा पुण्य है कि जहां भी जाते है वहां से लौटकर भिण्ड आना हो जाता है। लगता है कभी किसी भव में मैंने आप सभी लोगों का किसी रूप में उपकार किया होगा उसी का यह परिणाम है।