अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बताया, बोले- मुझे फंसाने की साजिश

भिण्ड, 30 अक्टूबर। गोहद नगर के वार्ड क्र.16 गांधी नगर निवासी सचिन देसाई ने गुरुवार को सामुदायिक भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उन्होंने कहा कि विद्यालय की प्रिंसिपल संतोषी बांदेल द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे और मनगढ़न्त हैं।
सचिन ने कहा कि हाल ही में समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि शासकीय प्राथमिक विद्यालय गांधी नगर की प्राचार्य ने उन पर विद्यालय में हस्तक्षेप करने और हर माह तीन हजार रुपए की मांग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जब यह खबर पढ़ी तो मैं स्वयं चौंक गया, क्योंकि मेरा ऐसा कोई व्यवहार या बातचीत कभी हुई ही नहीं है। न तो मैंने स्कूल के कोई दस्तावेज फाड़े और न ही कोई पेपर फैलाए। फिर भी मेरे खिलाफ थाने में झूठा आवेदन दे दिया गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी गोहद को आवेदन देकर इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है। देसाई ने कहा कि वे चाहते हैं कि जांच के माध्यम से सच्चाई सामने आए और जो व्यक्ति झूठी शिकायतें कर रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने घटना का पूरा क्रम बताया। उनके अनुसार कुछ दिन पहले एक स्थानीय पत्रकार वार्ड-16 में जनसमस्याओं पर रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। पत्रकार ने जब वार्ड की स्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं की जानकारी दी थी। जिसमें विद्यालय की स्थिति का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद प्राचार्य ने उन्हें विद्यालय बुलाया और पूछा कि आपने स्कूल से जुड़ी खबर क्यों चलवाई? जबकि उनका खबर प्रकाशित करवाने से कोई लेना-देना नहीं था। सचिन ने आरोप लगाया कि उसी बातचीत के दौरान प्रिंसिपल ने उन्हें धमकी दी कि मैं तुम्हें झूठे मामले में फंसा दूंगी। उन्होंने बताया कि कुछ ही देर बाद उनके खिलाफ थाने में आवेदन दे दिया गया। देसाई ने कहा कि जब पत्रकारों ने विद्यालय जाकर बच्चों से पूछताछ की तो बच्चों ने बताया कि विद्यालय में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आया था, बल्कि स्वयं प्रिंसिपल ने कुछ दस्तावेज फाड़े और फैलाए थे।
देसाई ने कहा कि वे एक आम नागरिक के रूप में वार्ड की जन समस्याओं और शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति से प्रशासन को अवगत कराना अपना कर्तव्य समझते हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई को उजागर करने की सजा उन्हें झूठे आरोपों के रूप में दी जा रही है। उन्होंने प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की कि इस पूरे मामले की पारदर्शी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।