– शिक्षाविद् शिवराम सिंह की पुण्यतिथि पर रौन में श्रद्धांजलि सभा एवं अभा कवि सम्मेलन आयोजित
भिण्ड, 30 अक्टूबर। डॉ. शिवेन्द्र का अपने पिता के प्रति समर्पण अद्वितीय है। वे हर साल इस आयोजन में अपने पिता को को सच्ची श्रद्धांजलि देकर नई पीढ़ी को पितृभक्ति का संदेश देते हैं। यह बात पूर्व मंत्री एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष मप्र विधानसभा डॉ. गोविन्द सिंह ने गत दिवस दुर्गा वाटिका रौन में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व शिक्षाविद् शिवराम सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भिण्ड से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर ने कहा कि शिवराम सिंह जी निहायत ईमानदार एवं कर्तव्य निष्ठ अधिकारी थे, वे जीवन मूल्यों से कभी समझौता नहीं करते थे, वही गुण, वही लक्षण उनके गीतकार पुत्र डॉ. शिवेन्द्र को एक अच्छा इंसान बनाते हैं।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने देशभर से आए कवियों को श्रोताओं के बीच बैठ कर सुना। आगरा से पधारी उर्दू शायरा शमीम कौसर ने अपनी गजलों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। देखें उनकी ये पंक्तियां- तुमने रोकर गलत फैसला कर लिया। दे दिया उसको दिल, बात ही बात में।। वहीं मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) से पधारी कवयित्री प्रीति अग्रवाल ने वीर रस की हुंकार भरी तो प्रांगण तालियों से गूंज उठा। देखिए उनकी ये पंक्तियां- बोलो तो इन वीरों का क्या, सच में ये अपमान नहीं। जैसा होना चाहिए था, ये वैसा हिन्दुस्तान नहीं। सेवढ़ा से आए युवा गीतकार डॉ. राजू विश्वकर्मा ने ऐसा सुमधुर गीत पढ़ा कि श्रोता एकदम शांत हो कर रह गए।। देखें उनकी ये पंक्तियां- महकी हुई बहार में, सपने बिखर गए। दिल में जिन्हें संजोया, वे जाने किधर गए।
करेरा से आए प्रतीक चौहान, भिण्ड से आए डॉ. मनोज स्वर्ण, औरैया से आए बुंदेली कवि प्रदीप वाजपेई, आलमपुर से आए हरनारायण हिण्डोलिया ने अपनी-अपनी श्रेष्ठ प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान कीं। इटावा से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कवि कुमार मनोज ने शानदार सचालन से श्रोताओं का मन हर लिया। दतिया से पधारे बुंदेली कवि सुंदरलाल श्रीवास्तव ने अपने बुंदेली गीतों से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। अंत में डॉ. सेंगर ने कहा कि रौन का यह आयोजन जिले भर में श्रेष्ठ व यादगार आयोजन होता है, डॉ. शिवेन्द्र अपने शिक्षाविद् पिता को हर साल सच्ची श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम को स्मरणीय व प्रेरक बनाते हैं।
इसके बाद पूर्व प्राचार्य दशरथ सिंह कौरव ने अपना उदबोधन दिया। अंत में आभार प्रदर्शन जैतपुरा मढ़ी से पधारे समाजसेवी रामाधार सिंह बड़े ने किया। आयोजक एवं संयोजक डॉ. शिवेन्द्र सिंह व निरंजन दत्त जानू ने मिलकर सभी कवियों और समाज सेवियों का सम्मान शाल श्रीफल एवं मानदेय देकर किया। रात तीन बजे तक चले इस आयोजन में भारी बारिश के बाद भी लगभग 300 श्रोता अंत तक जमे रहे।







