भिण्ड, 13 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष के अवसर पर खण्ड गोहद के बाराहेड़ मण्डल में पथ संचलन एवं शस्त्र पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता प्रांत सामाजिक समरसता संयोजक हरीशचन्द्र शर्मा ने अपने उद्वोधन में कहा कि ‘हिन्दव: सोदरा सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्’ अर्थात सभी हिन्दू सहोदर हैं, कोई भी हिन्दू छोटा बड़ा नहीं है, छोटे बड़े का रंग रूप, भाषा का भेद नहीं होना चाहिए, पूरे हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दू भाव को जब जब भूले आई विपत महान, भाई छूटे धरती खोई मिटे धर्म संस्थान। उन्होंने कहा कि शक्ति से ही समाज व राष्ट्र की रक्षा संभव है, संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, 1925 में विजयादशमी के दिन ही संघ कि स्थपाना हुई थी, तब से लेकर आज तक संघ कई अग्नि परीक्षाओं से गुजरता हुआ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन गया है। संघ के स्वयंसेवक नि:स्वार्थ भाव से समाज एवं राष्ट्र के कल्याण के लिए राष्ट्र की एकता और अखण्डता के लिए निरंतर कार्य कर रहे है। शाखा ही संघ की शक्ति है। संघ की शाखाएं केवल व्यायाम एवं अनुशासन का केन्द्र नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, सामाजिक समरसता और राष्ट्रभक्ति की जीवंत प्रयोगशाला है। संघ का स्वयंसेवक हर परिस्थिति में पूर्ण अनुशासन के साथ सदैव तैयार रहता है, संघ ने अपने सेवा कार्यों एवं सामाजिक, रचनात्मक कार्यों से समाज में विशिष्ट पहचान बनाई है। संघ कार्य का लक्ष्य समाज के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। इसलिए संपूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य संघ विगत सौ वर्षों से अनवरत रूप से कर रहा है। संघ समाज में पंच परिवर्तन के लिए कार्य कर रहा है, आज हम सबको पर्यावरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमें स्वभाषा, स्वभूषा पर गर्व होना चाहिए सामाजिक समरसता हर व्यक्ति के आचरण में होना चाहिए। सभी हिन्दू समान हैं, कोई अछूत नहीं है, ऐसा भाव हम सबके मन में होना चाहिए। कुटुंब प्रबोधन में उन्होंने कहा कि हम सबको अपने परिवार के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए, नागरिक कर्तव्य हमें पता होना चाहिए, हम सबको अनुशासन में रहकर नियमों का पालन करना चाहिए। कार्यक्रम में जिला सह कार्यवाह रामकुमार सिंह भदौरिया एवं विनोद सिंह कौरव मंचासीन रहे। पथ संचलन में स्वयं सेवकों ने एकजुट होकर संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बड़े चलो, भारत माता की जय घोष के साथ समाज को अनुशासन एवं संगठन शक्ति का संदेश दिया है। पथ संचलन के मार्ग में जगह-जगह पुष्पवर्षा कर जन समुदाय द्वारा स्वागत किया गया।