– राकेश अचल
बिना किसी चुनाव के आखिर विश्व गुरू का फैसला हो ही गया। दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े सौदागर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिर फिलस्तीन और इजराइल के बीच शांति समझौता करा ही दिया। ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच भी समझौता कराने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाबी अभी नहीं मिली है। इजराइल और हमास के बीच संघर्ष की मानवता को बहुत बड़ी कीमत चुकाना पड़ी है। दो साल में करीब 70 हजार निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
डोनाल्ड ट्रंप और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के बीच विश्वगुरू और शांतिदूत बनने की प्रतिस्पर्द्धा अघोषित रूप से चल रही थी, लेकिन बाजी मारी ट्रम्प सर ने। इजराइल-फिलिस्तीन के युद्ध में भारत मूकदर्शक बना रहा, भारतीयों की भावनाओं के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी फिलिस्तीन का समर्थन करने से कन्नी काटते रहे, क्योंकि उन्हें इजराइल से लगाव था। मोदी ने हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष रुकवाने के लिए खूब उछल-कूद की, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। अब मोदीजी शायद अपने हाथ मल रहे होंगे अपनी नाकामी पर।
दुनिया को युद्ध की नहीं, बल्कि बुद्धि और बुद्ध की जरूरत है। ट्रंप सर ईसाई होते हुए भी बुद्ध साबित हुए, हालांकि उनका ये मूल चरित्र नहीं है। क्योंकि इजराइल और ईरान युद्ध में उनकी भूमिका एकदम अलग थी। हमास और इजराइल के बीच शांति समझौते से कोई खुश हो या न हो, लेकिन मैं जाती तौर पर बहुत खुश हूं। मैंने पढ़ा था कि युद्ध प्रेमी सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन भी आखिर एक दिन हुआ ही था। ट्रंप इस लिहाज से न सिर्फ खुद अशोक की तरह शांति के रास्ते पर खड़े हैं, बल्कि उन्होंने इजराइल और फिलिस्तीन को भी साथ ले रखा है।
ट्रंप को इस प्रयास के लिए शांति का नोबल पुरस्कार मिले न मिले, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ट्रंप को ये सम्मान अघोषित रूप से मिल ही गया है और हम टापते रह गए। हम विदेश नीति के मोर्चे पर औंधे मुंह गिरे। जो ट्रंप ने किया वो मोदीजी भी कर सकते थे। हम तो ये मानकर ही चल रहे हैं कि मोदीजी हैं तो सब मुमकिन है, किंतु अब लगता है कि हम और हमारी धारणा गलत थी। सही तो केवल ट्रंप साहब थे।
इस समझौते के बाद पर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक एआई-जनरेटेड तस्वीर शेयर की है, जिसमें उनके गले में नोबेल पुरस्कार पदक लटका हुआ है और प्रधानमंत्री और अन्य लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। गाजा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई के समझौते की घोषणा के बाद तस्वीर शेयर करते हुए नेतन्याहू ने एक्स पर लिखा, डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दीजिए- वह इसके हकदार हैं! उन्होंने पहले भी ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए नामित किया है, जिसे जीतने की इच्छा डोनाल्ड ट्रंप अक्सर जाहिर करते रहते हैं। ट्रंप को पाकिस्तान तो पहले से शांतिदूत मानता है।
नेतन्याहू ही नहीं, बल्कि उनके देश के आमजन भी ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को ही ट्रंप को बंधक समझौते पर बधाई देते हुए इजरायल के विपक्षी नेता यायर लापिड ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार का उनसे ज्यादा कोई हकदार नहीं है और इजरायल के लोग उनका अनंत आभार जताते हैं। लापिड ने कहा, मैं उनकी टीम, स्टीव विटकॉफ, जेरेड कुशनर, मार्को रुबियो और टोनी ब्लेयर को बधाई देता हूं। मैं प्रधानमंत्री नेतन्याहू, आईडीएफ के कमाण्डरों और सैनिकों, सबसे बढ़कर उन बंधकों के परिवारों, शेरों और शेरनियों को बधाई देता हूं जिन्होंने दुनिया को एक पल के लिए भी भूलने नहीं दिया।
सुबह गाजा सीजफायर एग्रीमेंट के आगे बढ़ने की घोषणा के बाद इजरायल के राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग ने घोषणा की कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ट्रंप इसके लिए नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। आपको याद होगा कि ट्रंप खुद भी कई मौकों पर अपने लिए नोबेल पीस प्राइज की मांग उठा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि यदि उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया गया तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बड़ा अपमान होगा। हालांकि सोशल मीडिया में लोग नेतन्याहू की इस कोशिश का मजाक उड़ा रहे हैं।
यह समझौता गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना के पहले चरण का हिस्सा है। अब तक तकरीबन 70 हजार लोग इस जंग में मारे जा चुके हैं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। ये समझौता इन मृतकों की आत्मा को शांति पहुंचाए या न पहुंचाए, लेकिन फिलिस्तीन में जो जीवित बच गए हैं उनके लिए तो मरहम की तरह है ही। ट्रंप सर भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का श्रेय पहले ही अपनी बही में दर्ज किए बैठे हैं।