– भाषा अध्ययन केन्द्र जीवाजी विश्वविद्यालय में संस्कृत दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
ग्वालियर, 12 अगस्त। जीवाजी विश्वविद्यालय भाषा अध्ययन केन्द्र में संस्कृत विभाग द्वारा मंगलवार को संस्कृत दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें भाषा अध्ययनशाला के समन्वयक प्रो. नवनीत गरुड की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रों के साथ हुआ, छात्र निशांत और छात्रा शताक्षी राय, सरस्वती ने मां सरस्वती का पूजन गीत प्रस्तुति कर आरंभ किया। अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान शॉल, श्रीफल, दुर्गा सप्तशती भेंटकर डॉ. ज्योत्स्ना सिंह ने किया।
संस्कृत दिवस पर व्याख्यान के लिए मुख्य वक्ता के रूप में एमएलबी कॉलेज के डॉ. अशोक विश्नोई ने सारगर्भित उदबोधन में छात्रों का ध्यान खींचते हुए कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत की उपयोगिता महत्व और रोजगार के अवसर कैसे प्राप्त करें। संस्कृत केवल भाषा न होकर संपूर्ण भारतीय संस्कृति की जीवन शक्ति है। विद्यालय स्तर से लेकर के विश्वविद्यालय तक संस्कृत के विभिन्न अवसर सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं, इतना ही नहीं संस्कृत छात्रों को छात्रवृत्तियां भी प्रदान की जाती हैं। विज्ञान में उपयोगी तार्किक ढांचे प्रदान करती है।
केन्द्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर राजस्थान से राम तिवारी ने संस्कृत भाषा की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान, दर्शन और साहित्य आज भी विश्व को दिशा निर्देशन कर रहे हैं। अध्यक्षीय उदबोधन में भाषा अध्ययन केंद्र के संयोजक डॉ. नवनीत गरुड ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन विभाग में होते रहें, जिससे कि छात्रों में संस्कृत के प्रति रुझान और लगाव पैदा हो और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर राष्ट्र के विकास में सहयोग प्रदान करें। गीत प्रस्तुति हिना आसिफ द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन अतुल दीक्षित ने किया। कार्यक्रम में छात्रों द्वारा संस्कृत श्लोक-पाठ प्रस्तुत किए गए, जिससे वातावरण पूरी तरह संस्कृत-भाव से ओत-प्रोत हो उठा।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ज्योत्सना सिंह ने किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. वंदना कुशवाह, डॉ. मंजू चौहान, डॉ. धर्मेन्द्र शर्मा, डॉ. मंजूलता आर्य, डॉ. रीना पाठक, डॉ. पूजा वर्मा, शुभांगी, धीरू बढाना, शिवानी, शालिनी, सतीश, निखिल, निशांत, अरेन्द्र यादव, योगेश कुमार, ज्योति पाठक, वेदवीर, सूरज सहित प्राध्यापकगण, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।