कैलाश मानसरोवर मुक्ति संकल्प को संतजनों का पूर्ण आशीर्वाद

– मुक्त कैलाश, आजाद तिब्बत, सुरक्षित भारत का लिया संकल्प

भिण्ड, 06 अगस्त। भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय आह्वान पर अटेर क्षेत्र के बोरेश्वर धाम में ‘कैलाश मानसरोवर मुक्ति संकल्प’ अभियान अंतर्गत शिव महापुराण कथा महोत्सव में देशभर से पधारे संत महापुरुषों ने भागीदारी कर इस ऐतिहासिक अभियान को न केवल आध्यात्मिक आशीर्वाद प्रदान किया, बल्कि स्पष्ट समर्थन भी दर्ज किया। कार्यक्रम के दौरान हजारों श्रद्धालुओं और युवाओं ने ‘मुक्त कैलाश-आजाद तिब्बत-सुरक्षित भारत’ का सामूहिक संकल्प लिया। यह आयोजन धार्मिक कथा के साथ-साथ एक राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना के रूप में भी स्थापित हुआ।
भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्पित मुदगल ने कहा कि यह केवल एक धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक जागरण का संकल्प है। कैलाश महादेव का धाम संपूर्ण सनातन समाज की श्रद्धा और अस्मिता का प्रतीक है। भारत तिब्बत सहयोग मंच इस आवाज को राष्ट्रव्यापी ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाएगा, ताकि ‘मुक्त कैलाश, आजाद तिब्बत, सुरक्षित भारत’ का सपना साकार हो।
कथावाचक आचार्य प्रशांत तिवारी ने आध्यात्मिक संदेश में कहा कि कैलाश पर्वत कोई साधारण भूखण्ड नहीं, बल्कि भगवान शिव की दिव्य चेतना का प्रतीक है। उसकी मुक्ति सनातन संस्कृति की आत्मा की मुक्ति है। यह संकल्प एक ऐसी आध्यात्मिक क्रांति का बीज है, जो धर्म, राष्ट्र और मानवता के हित में फल देगा। आयोजन के दौरान भारत तिब्बत सहयोग मंच के आह्वान पर हजारों श्रद्धालु, युवा स्वयंसेवक और संत महापुरुषों ने एकजुट होकर घोषणा की कि हम सभी मुक्त कैलाश, आजाद तिब्बत और सुरक्षित भारत के लिए कार्यरत रहेंगे।
संतजनों के विचार- धर्म और राष्ट्र के लिए एक स्वर
इस अवसर पर चामुण्डा धाम अटेर के स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कैलाश केवल पर्वत नहीं, शिव का प्राणधाम है। इसकी मुक्ति के बिना भारत की आत्मा अधूरी है। चिलोंगा धाम के अवधूत हरिनिवास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म अब जाग रहा है, कैलाश मुक्ति हमारा धर्मदायित्व है। यह केवल आंदोलन नहीं, साधना है। कुण्डेश्वर धाम के संत माहन मोनू महाराज ने कहा कि यह भारत की आत्मा की पुकार है, कैलाश की मुक्ति तक हमें रुकना नहीं है। भूमिया सरकार मेहगांव के महंत हरिओमदास महाराज कहा कि जैसे गंगा अविरल होनी चाहिए, वैसे ही कैलाश स्वतंत्र होना चाहिए, यह धर्म और राष्ट्र की एकजुट पुकार है। कोषण माता धाम के हनुमान दास महाराज ने कहा कि अब शिवभक्तों को मौन नहीं रहना चाहिए, महादेव के धाम की रक्षा के लिए सभी आगे आएं। नर्मदेश्वर आश्रम सुरपुरा के शिवानंद सरस्वती जी ने कहा कि कैलाश मुक्ति भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण की शुरुआत है, यह संकल्प श्रद्धा, आत्मबल और संगठन का प्रतीक है।