एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में उभरी है : सांसद राय

– शा. एमजेएस कॉलेज में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम’ राष्ट्र व्यापी विचार एवं परामर्श सम्मेलन कार्यशाला आयोजित

भिण्ड, 02 अगस्त। एक देश एक चुनाव की विचारधारा को लोकतांत्रिक तौर पर यदि एक साथ चुनाव के रूप में किया जाए तो यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही साथ कराने का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। इससे मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही दिन सरकार के दोनों स्तरों के लिए अपने मत डाल सकेंगे, हालांकि देशभर में मतदान कई चरणों में कराया जा सकता है। यह बात सांसद संध्या राय ने प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस भिण्ड में आयोजित ‘एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम’ राष्ट्रव्यापी विचार एवं परामर्श सम्मेलन एक दिवसीय कार्यशाला कही। कार्यशाला में भिण्ड विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह, एडवोकेट आनंद बरुआ, रविसेन जैन, उपेन्द्र सहित अन्य जनप्रतिनिधि सम्मिलित हुए। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर किया गया।
सांसद संध्या राय ने कहा कि इन चुनावी समय-सीमाओं को एक साथ जोडने के दृष्टिकोण का उद्देश्य चुनावों के लिए किए जाने वाले प्रबंध से जुडी चुनौतियों का समाधान करना, इसमें लगने वाले खर्च को घटाना और लगातार चुनावों के कारण कामकाज में होने वाले व्यवधानों को कम करना है। भारत में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को 2024 में जारी किया गया था। रिपोर्ट ने एक साथ चुनाव के दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान की। इसकी सिफारिशों को 18 सितंबर 2024 को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकार किया गया, जो चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। भारत में शासन को सुव्यवस्थित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को उसके अनुकूल बनाने की आकांक्षाओं को देखते हुए एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में उभरी है जिसके लिए गहन विचार-विमर्श और आम सहमति की आवश्यकता है।

इस अवसर पर विधायक भिण्ड नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने विद्यार्थियों और समस्त स्टाफ को बताया कि एक साथ चुनाव कराने से मतदाता की थकान कम होती है और मतदान प्रतिशत बढता है। एक राष्ट्र एक चुनाव नीति स्थिरता और आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है। यह उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान को रोकता है, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए। सरकारी व्यय को कम करता है और संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है। शासन और सार्वजनिक सेवा के लिए अधिक समय प्रदान करता है। इससे चुनाव संबंधी विवादों में कमी आएगी, समय और न्यायिक संसाधनों की बचत होगी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और सुरक्षा बलों के प्रयासों को बचाता है। प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार चुनाव कराकर सामाजिक संघर्ष को कम किया जा सकता है।
आभार प्रदर्शन प्राचार्य डॉ. आरए शर्मा ने किया एवं मंच संचालन प्रो. मोहित दुबे और सहायक प्राध्यापक डॉ. आरती शर्मा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।