(प्रथम पुण्यतिथि-01 अगस्त)
(सुबोध अग्निहोत्री- 9425129460)
स्व. प्रभात झा के निधन के हफ्ते भर बाद ही अनुराग बंसल हम सबका साथ छोड कर चले गए। आज 1 अगस्त 2025 को उन्हें पूरा एक वर्ष हो गया। स्व. प्रभात जी के बहुत करीबी लोगों में से एक अनुराग बंसल भी थे। दोनों सालों साथ रहे और हफ्ते भर के अंतराल से दोनों अनंत यात्रा पर निकल गए।
स्व. अनुराग जी मूलत: व्यापारी थे और निरभिमानी व्यक्ति थे। आर्थिक प्रबंधन में उनकी कुशाग्रता का लोग लोहा मानते थे। आर्थिक बचत के प्रति वे बेहद सचेत रहते थे। ग्वालियर व्यापार मेला के लम्बे समय तक अध्यक्ष के समय उन्होंने मेला कोष को समृद्ध किया। उन जैसे समर्पित और ईमानदार कार्यकर्ता होना मुश्किल है। चुनावों के समय जातिगत वोटों का आंकलन और समीकरण की व्याख्या वे बडे मनोयोग से करते थे। किस गांव, किस क्षेत्र में किस समाज के कितने वोट है और वे किसे मिलेंगे किसी और को क्यों नहीं मिलेंगे और निर्दलीय किसका खेल बिगाडेंगे ये चर्चा बडी रोचकता से करते थे। चुनावी माहौल की चर्चा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में वे निपुण थे। लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेताओं को चुनावी हकीकत बताने में संकोच भी नहीं करते थे।
सभ्य और सुसंस्कृत स्नेहिल स्वभाव और पूरी ईमानदारी से कार्यकर्ता की मदद करने में आगे रहते थे। व्यापार के साथ ही वे संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक थे। स्व. कुशभाऊ ठाकरे, सुरेश सोनी, स्व. तरानेकर, अरुण जी के सतत संपर्क में रहे और साथ ही साथ अपने पिताजी द्वारा स्थापित उद्योग जो कि बद्री गृह उद्योग के नाम से प्रचलित था उसे अंत समय तक संभालते रहे। पैसे वाले होने के बाद भी वे बहुत ही साधारण जीवन जीते थे, उन्हें कोई शौक नहीं था। पार्टी का काम करते समय ही वे श्रीमंत यशोधरा राजे से भी जुड गए और उनके प्रत्येक चुनाव के प्रभारी भी वे ही रहे, श्रीमंत राजे को उन पर अटूट विश्वास था क्यों कि वे पाई-पाई के ईमानदार थे। वे इसी तरह जब स्वदेश समाचार पत्र आर्थिक विपन्नता के दौर में था तब प्रबंधन का कार्य अनुराग जी को और संपादकीय का कार्य उनके बाल सखा यशवंत जी इंदापुरकर को सौंपा गया। दोनों ने कडी मेहनत और परिश्रम कर स्वदेश को खडा करने में महती भूमिका निभाई। कई बार तो उन्होंने स्वयं के पैसे लगाकर कर्मचारियों के वेतन का प्रबंध भी किया। मेला अध्यक्ष रहते हुए वे पूर्व से प्रचलित पर्ची प्रथा के विरोधी थे और दुकानों के आवंटन और निर्माण में कमीशन खोरी से दूर रहे।
आज स्व. अनुराग जी की प्रथम पुण्यतिथि उनकी स्मृति को सजीव कर गई। मुझे उनका अभाव सदैव खलता रहेगा। आज खुशी की बात यह कि उनकी पुण्यतिथि पार्टी कार्यालय में आयोजित की गई है।
।। स्व. अनुराग जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।।
लेखक- स्वतंत्र पत्रकार है।