* वर्षा जल सहेजने के लिए हर ग्राम पंचायत में 4-4 कुंओं को रीचार्ज करने का लक्ष्य
* अभियान के तहत नई संरचनाओं के साथ-साथ पुरानी जल संरचनाओं का हो रहा है जीर्णोद्धार
* जल संरचनाएं उपयोगी हों इसलिए जीआईएस तकनीक से किया गया है स्थल चयन
ग्वालियर, 10 मई। लम्बे समय तक पेयजल के प्रमुख स्त्रोत रहे ऐसे कुंए जो सूख चुके हैं वे अब वर्षा जल सहेजने में अहम भूमिका निभाएंगे। ग्वालियर जिले में सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत कुंओं के पुनर्भरण (रीचार्ज) का काम हाथ में लिया गया है। जिले की हर ग्राम पंचायत को 4-4 कुंए रीचार्ज करने का लक्ष्य दिया गया है। बहुत सी पंचायतों द्वारा यह काम शुरू कर दिया गया है। जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत बडे पैमाने पर पुरानी जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार के साथ-साथ नई संरचनायें बनाने के निर्देश कलेक्टर रुचिका चौहान ने दिए हैं। इसके लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक कुमार के निर्देशन में सुनियोजित कार्ययोजना बनाई गई है।
जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी रविन्द्र सिंह जादौन ने बताया कि ग्रामीण अंचल में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 965 संरचनाएं चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 895 संरचनाओं की स्वीकृति दी जा चुकी है। साथ ही 880 संरचनाओं का काम भी शुरू हो गया है। जिले में 736 खेत तालाब बनाने का काम भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा जल संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित 1393 विभिन्न प्रकार के पूर्व वर्षों के कार्यों का जीर्णोद्धार कराने का लक्ष्य भी रखा गया है। जिले में इस साल 15 नए अमृत सरोवर स्थल चिन्हित किए गए हैं, इनमें से 6 कार्यों की स्वीकृति भी जारी कर दी गई है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल संरचनाओं का चयन जीआईएस तकनीक के आधार पर किया गया है, इससे ग्रामीणों को इन संरचनाओं का अधिकाधिक लाभ मिलेगा। बडे पैमाने पर खेत तालाब व अमृत सरोवर का निर्माण, डगवैल रीचार्ज एवं पुरानी जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार का काम हाथ में लिया गया है। जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत खासतौर पर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से 400, एक हजार व 3600 घन मीटर क्षमता के खेत तालाब मंजूर किए गए हैं। खेत तालाबों के स्थल चयन में सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से यह पता चल जाता है कि किस क्षेत्र में खेत तालाब बनाने पर पानी भरेगा और वह लम्बे समय तक टिकेगा। खेत तालाबों से जल स्तर तो बढेगा ही, साथ ही क्षेत्रीय किसानों को सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। इसके अलावा मछली व सिंघाडा पालन भी खेत तालाबों में कराया जाएगा। खेत तालाबों की मेढों पर अरहर की बुवाई के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इससे उन्हें अतिरिक्त आय अर्जित होगी।