पांच वर्षीय बालिका से दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा

– नवीन दाण्डिक कानून में मप्र में पहली बार दिया गया मृत्युदण्ड
– सहआरोपिया मां एवं बहन को दो-दो वर्ष का कारावास
– पीडित परिवार को 4 लाख रुपए दी गई प्रतिकर राशि

भोपाल, 19 मार्च। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट भोपाल श्रीमती कुमुदिनी पटेल के न्यायालय ने पांच वर्ष की अबोध बालिका का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या करने वाले आरोपी अतुल निहाले को धारा 64(2)(एल) बीएनएस एवं 5जे(1)/6 पॉक्सो एक्ट मे मृत्यु दण्ड की सजा एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 66 बीएनएस एवं 5जे(४)/6 पॉक्सो एक्ट मे मृत्यु दण्ड की सजा एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 103 बीएनएस मे मृत्युदण्ड की सजा एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 65(2) बीएनएस एवं 5 (एम)/6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास (शेष प्राकृतिक जीवन के लिए) एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 64(2)एम (बार-बार) बीएनएस एवं 5 (एल)/6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास (शेष प्राकृतिक जीवन के लिए) एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 87 बीएनएस में सात वर्ष सश्रम कारावास एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, धारा 238(क) बीएनएस में सात वर्ष सश्रम कारावास एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, सहआरोपी अतुल की मां बंसती को धारा 238(क) बीएनएस में दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं 100 रुपए अर्थदण्ड, उसकी बहन चंचल को धारा 238(क) बीएनएस में दो वर्ष सश्रम कारावास एवं 100 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किए जाने का निर्णय पारित किया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुश्री दिव्या शुक्ला ने की।
संभागीय जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 24 सितंबर 2024 को पीडिता की मां ने थाना शाहजहानाबाद में अपनी 5 वर्ष की अबोध बच्ची के गुम हो जाने की शिकायत की थी, उसने बताया कि मेरी पुत्री दोपहर 12 बजे अपनी दादी के साथ बडे पापा के फ्लैट में गई थी, बच्ची ने अपनी दादी से कहा कि मैं अपनी किताबें, कॉपी और पेन लेकर आती हूं और कह कर नीचे गई। जब बच्ची करीब 15 से 20 मिनट तक घर वापस नहीं आई तो उसकी दादी उसे नीचे देखने गई, तब बच्ची उसे नहीं मिली, सभी लोग मिलकर बच्ची को ढूंढने लगे। मैंने अपने पति को फोन पर सूचना दी और उनके आने पर थाना में रिपोर्ट लिखवाने आ गई। पुलिस ने आस-पास लगे सीसीटीव्ही कैमरे की जांच की, दूरदर्शन केन्द्र के माध्यम से प्रसारण किया तथा ईनाम की उदघोषणा भी गई थी, घटना की गंभीरता को देखते हुए बच्ची की तलाश के लिए पर्याप्त बल ड्ररौन कैमरे और डॉग स्कॉट की सहायता ली गई तथा आस-पास बहुत से लोगों से पूछताछ की गई तथा पूरी मल्टी को छावनी मे तबदील कर दिया, जिससे आने जाने वाले लोगों का पता चल सके। तलाशी के दौरान फ्लैट एफ 02 के पास से बहुत अधिक बदबू आ रही थी, तलाशी टीम ने दरवाजा खुलवाया तो बंसती बाई एवं चंचल (आरोपी की मां एवं बहन) ने बताया कि चूहा मरा हुआ है और वह फिनायल का पौंछा लगाई हैं, उसकी बदबू आ रही है। जब सर्च टीम ने तलाशी की बात कही तो वह घबरा गईं, सर्च टीम को शंका होने पर घर की तलाशी करने पर घर की महिलाए काफी चिल्ला चोंट करने लगीं और कहने लगीं कि पुलिस हमें परेशान कर रही है और रास्ता रोक कर खडी हो गईं। जब बहुत देर तक महिला नहीं हटी तब महिला पुलिस द्वारा उन्हें हटाकर अंदर जांचने पर रैक पर चढक़र देखने पर एक सफेद प्लास्टिक की पानी की टंकी दिखाई दी, जहां से काफी र्दुगंध आ रही थी। टंकी में एक पौटली रखी थी, पौटली का कपडा हटाने पर बच्ची का पैर दिखाई दिया, जिसके पश्चात बच्ची का चेहरा देखकर पहचान कराई गई, उसका शव अकड चुका था, टंकी का मुंह छोटा होने से वह बाहर नहीं निकल रहा था, टंकी एम्स अस्पताल पुलिस बल लेकर गई जहां पर उसका परीक्षण किया गया था। जहां बच्ची के साथ दुष्कर्म होने तथा उसके शरीर एवं प्राइवेट पार्ट पर फटे होने के निशान तथा उसके दोनों कंधे टूटे ज्ञात हुए। तब फ्लैट एफ 02 के निवासी बंसती बाई, चंचल एवं अतुल निहाले से पूछताछ करने पर अतुल निहाले ने पूरी घटना पुलिस के समक्ष बताया और बंसती बाई और चंचल ने घटना को छुपाने में मदद करना बताया। आरोपी अतुल के निशान देही पर बच्ची के कपडे तथा वह कपडा जिससे बच्ची का खून साफ किया था तथा चाकू बरामद हुआ था। डीएनए कराए जाने पर डीएनए पॉजिटिव आया था।
अभियोजन द्वारा प्रस्तुत समस्त साक्षियों के परिपेक्ष में न्यायालय द्वारा आरोपीगण को दोषसिद्धि किया गया था। दण्ड के प्रश्न पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा आरोपी अतुल का 2015 को एक पर्चा जिसमें बीएमडी इन मेनिया लिखा था प्रस्तुत किया और कहा कि आरोपी मानसिक रूप से बीमार है और आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाया था। विशेष न्यायालय द्वारा जिला चिकित्सालय के डॉक्टारों के पैनल से उक्त संबंध मे जांच कराई थी। रिपोर्ट में आरोपी मानसिक स्वस्थ्य होना पाए जाने पर विशेष न्यायालय ने दण्डादेश पारित किया है।
विशेष न्यायालय श्रीमती कुमुदिनी पटेल ने अभियुक्त को केपिटल पनिशमेंट देते हुए लेख किया कि अभियुक्त की पिशाचिक प्रवृत्ति, अपराध करने का तरीका, जिसके अंतर्गत उसके द्वारा बच्ची के प्राइवेट पार्ट को चाकू से चौडा कर विरोध करने पर शरीर के अन्य अंगों पर प्रहार कर मासूम की हत्या कर दी गई तथा उसके बाद अबोध बच्ची से हिंसा, दुष्कर्म, हत्या के बाद किसी प्रकार विचलित न होते हुए सुनियोजित ढंग से शव का निर्वतन करने का प्रयास किया, जो कि उसकी धूर्तता व चालाकी को दर्शाता है। खून को पोंछने के बाद मासूम के पैरों को बांधकर शव को पोटली में लपेटकर बाथरूम के ऊपर रखी प्लासिटक की टंकी मे रखकर व पुलिस के साथ बच्ची को ढूंढने का प्रयास यह स्पष्ट दर्शाता है कि उसने संपूर्ण होश-हवास मे अपने कुकृत्य को अंजाम दिया। अभियुक्त के कृत्य से यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यदि अभियुक्त को उचित दण्ड नहीं दिया गया तो समाज के सामाजिक मूल्यों व व्यक्तिगत जीवन को कितना बडा खतरा पैदा होगा, इसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती और उसके द्वारा किए गए अपराध की प्रकृति को देखते हुए इसकी बिल्कुल भी परिकल्पना नहीं की जा सकती कि अभियुक्त में कोई सुधार होने की गुजाईश है, अभियुक्त अत्यंत क्रूर, निर्मम, घोर, परपीडक व पाश्विक स्वरूप का है। प्रकरण मे अभियुक्त के पक्ष में गंभीर एवं उपशमनकारी परिस्थितियों पर विचार कर इस न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि गंभीर परिस्थितियों उपशरमकारी परिस्थितियों से अधिक है तथा यह स्पष्ट है कि यह प्रकरण दुर्लभतम मामलों की श्रेणी मे आता है जहां अन्य सजा का सवाल नि:संदेह समाप्त हो जाता है। यदि कोई मामला है जिसके लिए मौत की सजा दी जानी चाहिए तो वह यही मामला है। इस प्रकरण में पांच वर्ष की बच्ची को जिस तरह से तडपाकर, दुष्कर्म कर हत्या की है यह अपराध दुलर्भतम श्रेणी में नहीं आएगा तो सोच से परे है यदि हम बच्चों को ऐसा समाज नहीं दे सकते हैं कि वह अपने ही आंगन, घर, स्कूल में खेल सके तो फिर सभ्य समाज की परिकल्पना कैसे की जा सकती है। जबकि सामाजिक सुरक्षा भारत के संविधान का मूलभूत तत्व है क्या ऐसे नर-पिशाच, राक्षस को छोडना मानवाधिकार के अंर्तगत आता है यदि मृत्युदण्ड से कोई बडी सजा है तो आरोपी उसका पात्र है।