मंकी पॉक्स संक्रमण से सतर्क रहें बचाव करें

-मंकी पॉक्स संक्रमण को लेकर एडवाइजरी जारी

भिण्ड, 23 अगस्त। भिण्ड जिले में मंकी पॉक्स को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शिवराम सिंह कुशवाह ने एडवाइजरी जारी की है, जिसमें मंकी पॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों अटेर, रौन, फूफ, लहार, गोहद तथा मेहगांव के साथ ही नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र भिण्ड को इस बीमारी से कैसे निपटें, बचाव कैसे करें, इसको लेकर निर्देशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकी पॉक्स बीमारी को लोक स्वास्थ्य के हित में विश्व स्तर पर चिंताजनक घोषित किया है।
मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकी पॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए जिला कलेक्टर के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए हैं। सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकी पॉक्स वायरस टेस्ट के लिए प्रयोगशाला का सैंपल एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे। साथ ही मंकी पॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश हैं। मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। उक्त वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेंब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंकी पॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति शरीर पर चकते दिखने के एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकतों से जब तक पपडी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है।