पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने की कथा का किया वर्णन

रावतवुरा धाम में चल रही है नौ दिवसीय रामकथा

भिण्ड, 21 दिसम्बर। अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में रावतपुरा धाम में आयोजित की जा रही नौ दिवसीय रामकथा के दूसरे दिन कथा वक्ता हेमलता शास्त्री ने शिव चरित्र का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और भगवान शिव द्वारा विवाह के लिए सहमत होने की मनमोहक कथा सुनाई।
हेमलता शास्त्री ने कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोडकर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गईं, पिता द्वारा भगवान शंकर के अपमान पर सती हवन कुण्ड में कूदकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। माता सती के अग्नि में प्रवाहित होने के बाद तीनों लोकों को भगवान शिव के कोप भाजन का शिकार होना पडा। उन्होंने कहा कि हजारों साल बाद माता सती भोलेनाथ के सम्मुख बैठी हैं और भगवान शिव ने उनको क्षमा कर दिया। कामदेव ने देवताओं तथा जगत कल्याण के लिए शिवजी पर अपने पुष्प बाण से घात किया। मगर क्रोध में शिवजी का तीसरा नेत्र खुलते ही कामदेव भस्म हो गए। इस मौके पर रावतपुरा धाम के महंत रविशंकर महाराज सहित हजारों श्रोतागण मौजूद रहे।