– राकेश अचल
आज न राजनीति पर लिखना था और न नीति पर, लेकिन भाजपा ने विवश कर दिया लिखने पर। महाबली नेतृत्व वाली भाजपा ने आखिर मान ही लिया कि राहुल गांधी का प्रताप लगातार बढ़ रहा है और वे दशानन बन चुके हैं। दशानन का अर्थ दस सिर वाला नहीं होता, बल्कि दशानन का अर्थ एक ही सिर वाले व्यक्ति के पास दिव्य दृष्टि का हो जाना भी होता है। भाजपा ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर राहुल गांधी का एक पोस्टर जारी किया और उन्हें नए जमाने का रावण बताया। पार्टी ने लिखा- नए जमाने का रावण यहां है। वे दुष्ट, धर्म और राम विरोधी हैं। उनका एक मात्र लक्ष्य देश को बर्बाद करना है।
मोदी युग में अपने प्रतिद्वंदी को रावण कहा जाना कतई हैरानी की बात नहीं है। हैरानी की बात तो ये है कि भाजपा के विद्वान आईटी सेल वाले न राम को ठीक-ठीक जानते हैं और न रावण को। रावण के दस सिर माने जाते थे लेकिन भाजपा के रावण के सात सिर ही हैं। त्रेता के राम ने कभी चाय नहीं बेची थी, लेकिन भाजपा के राम चाय बेचते हुए रामलीला करने आए हैं। भाजपा के रावण के कोई भाई नहीं हैं, जबकि त्रेता के रावण के पास कुंभकर्ण, विभीषण जैसे महाबली भाई थे। रावण की बहन सूर्पणखा अविवाहित थी भाजपा के रावण की बहन न कुरूप है और न अविवाहित, वो दो बच्चों की मां है। उसे कोई भूले से भी सूर्पणखा नहीं कह सकता।
अब आइये भाजपा के राम को पहचानें। भाजपा के राम के चार नहीं पांच भाई हैं। भाजपा के राम की पत्नी को त्याग दिया गया है, जबकि बेचारी का किसी रावण ने अपहरण नहीं किया। वो कभी अशोक वाटिका में नहीं रहीं। उसे किसी अग्नि परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ा। उसने अपने राम को किसी धनुष यज्ञ से नहीं, बल्कि बाकायदा सप्तपदी से वरण किया था, भाजपा के राम रणछोड़ भी हैं और निपूते भी। त्रेता के राम विवाहित भी थे और उनके दो सुंदर बेटे भी थे। ऐसे में मोदी युग के राम और रावण की कोई तुलना बन नहीं रही। यानि मोदी युग में बनाया गया रावण किसी को पच नहीं रहा। मोदी की भाजपा जिसे रावण मानती है उसने न कभी किसी सीता का हरण किया और न राम से कभी कोई बैर पाला, उस बेचारे ने तो राम जी को संसद में खुले आम झप्पी दी। भला कोई रावण किसी को झप्पी देता है?
भाजपा की तरफ से जारी पोस्टर में राहुल के सात सिर दिखाए गए हैं। इस पर लिखा है- भारत खतरे में है। तस्वीर के ठीक नीचे बड़े अक्षरों में रावण लिखा हुआ है। इसके नीचे अंग्रेजी में ्र ष्टह्रहृत्रक्रश्वस्स् क्क्रक्रञ्जङ्घ क्कक्रह्रष्ठष्टञ्जढ्ढह्रहृ डायरेक्टेड बाय जॉर्ज सोरोस लिखा है। भाजपा के इस प्रयोग से जाहिर है कि भाजपा राहुल गांधी से बेहद आतंकित है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के सामने मोदी सरकार की तमाम उपलब्धियां बौनी साबित हो रही हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस के लोग कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए थे। इसके अलावा भाजपा नेताओं ने ‘ओपन सोसाइटी फाउण्डेशन’ नाम के एक गैर-सरकारी संगठन का नाम लिया है। भाजपा नेताओं का दावा है कि यह स्वयंसेवी संगठन अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की ओर से वित्त पोषित है और इसके उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए थे।
भाजपा का बस चले तो वो राहुल रावण को न्यूज क्लिक के मालिकों और सलाहकारों की तरह यूएपीए के तहत आरोपी बनाकर जेलाटन करा दे। किन्तु ‘मन होंसिया, करम गढिय़ा’ हो तो कोई क्या करे? भाजपा ने जार्ज सोरोस को शायद राहुल का भाई मान लिया है। भाजपा को जार्ज में कुंभकरण दिखाई देता हैं, क्योंकि जॉर्ज सोरोस अमेरिका के बिलेनियर कारोबारी हैं। सोरोस ने इसी साल म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में कहा था कि ‘भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनके तेजी से बड़ा नेता बनने की अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है।’ सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि ‘भारत हिन्दू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है।’ दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे और वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई दिए थे।
आपको बता दें कि सोरोस भाजपा सरकार की आंख कीकिरकिरी उसी तरह हैं जिस तरह की राहुल गांधी यानि राहुल रावण। सोरोस की संस्था ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की। पहले ये भारत में रिसर्च करने वाले स्टूडेंट को स्कॉलरशिप देती थी। 2014 में ओपन सोसाइटी ने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी। भाजपा के अंगद यानि विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिका के बिलेनियर कारोबारी जॉर्ज सोरोस को बूढ़ा, अमीर, जिद्दी और खतरनाक कह चुके हैं। जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया में कहा था- ऐसे लोगों को लगता है कि अगर उनकी पसंद का व्यक्ति चुनाव जीतता है, तो वो चुनाव अच्छा था, लेकिन अगर नतीजा कुछ और निकले तो वो देश के लोकतंत्र में खामियां ढूंढने लगते हैं।
बहरहाल मैं भाजपा की आईटी सेल के इस सृजन से बहुत खुश हूं, क्योंकि इसमें मौलिकता है। राजनीति में मौलिकता का नितांत अभाव है। देश में अब रामलीलाएं लगातार कम हो रही हैं, ऐसे में सियासी लीला में राम और रावण की एंट्री सुखद है। मैं तो सुझाव देना चाहूंगा कि इस साल दशहरे पर भाजपा पूरे देश में रावण की जगह राहुल रावण के पुतले जलाए। राहुल की नाभि में लोकप्रियता का जो अमृत कुण्ड है उसे किसी तीर से सोख ले, ताकि न रहे बांस और न बजे बांसुरी। क्योंकि जब तक देश की राजनीति में राहुल मौजूद हैं वे भाजपा के लिए समस्या बने रहेंगे। मुमकिन है उनके रहने से भाजपा का 2047 तक सत्ता में रहने का सपना भी चकनाचूर हो जाए। क्योंकि राहुल रावण की सेना लगातार एक के बाद एक मोर्चा फतह करती जा रही है। राहुल रावण की फौज देश को कांग्रेस विहीन करने के भाजपा के महाअभियान का सबसे बड़ा रोड़ा है।
राहुल को रावण बताना मानहानि का मुद्दा है या नहीं ये वकील जानें। मैं तो इतना जानता हूं कि भाजपा के सिर पर राहुल पहले केवल भूत बनकर सवार थे और अब रावण बनकर सवार हैं। राहुल को रावण बताना राहुल का अपमान है या कांग्रेस का या खुद रावण की बिरादरी वालों का, ये तय करना जनता का काम है और जनता नवंबर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका उत्तर जरूर देगी। 2024 में होने वाले आम चुनाव में ये तय हो जाएगा कि देश की राजनीति में कौन रावण है और कौन राम? आप तो केवल सियासत की छुद्र रामलीला देखते जाइये। दृश्य अभी और भी हैं।