भागवत कथा में हुआ रुक्मणि-श्रीकृष्ण का विवाह, श्रोताओं की उमडी भीड
भिण्ड, 25 सितम्बर। गणेश महोत्सव के दौरान पुरानी गल्लामण्डी भिण्ड में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में छटवे दिवस भगवान श्रीकृष्ण के चरित्रों के गायन साथ गोपी गीत, विरह गीत, वेणु गीत, मथुरा गमन, कंस वध, जरासंध युद्ध, मुचकुंद पर कृपा, द्वारिका प्रस्थान, कुंदनपुर जाकर रुक्मणी हरण आदि आदि लीलाओं का वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य प्रशांत तिवारी ने विस्तार से वर्णन किया।
आचार्य प्रशांत तिवारी ने भक्तों को बताया कि कृष्ण-रुक्मणि मंगल की झांकी के दर्शन, कथा श्रवण, कन्या चरण पूजन जो माताएं करती हैं वे सदैव सौभाग्यवती रहती हैं। गृह क्लेश भी दूर होता है। आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा से मिल जाना होता है, इसलिए प्रतिक्षण महामंत्र का उच्चारण करते रहें। अच्छी नीयत से ईश्वर खुश होते हैं और दिखावे से इंसान, इसलिए नीयत हमेशा स्वच्छ एवं पवित्र रखें। परमात्मा घट घट वासी है वह हर मन की बात जानता है। बुरा वक्त रास्ते में कंकड की तरह होता है, यह शुरुआत में चुभता जरूर है पर आगे की चट्टानों से लडना सिखा देता है। कठिन स्थिति में भी प्रभु का न भूलें, प्रभु सदैव भक्तों के साथ रहता है।
कथा में बरही चंबल तट पर खेडापति हनुमान मन्दिर के महंत गोपालदास महाराज पधारे, उनका स्वागत यजमान शकुंतला-डॉ. महेशदेव शर्मा ने पुष्प माला से स्वागत किया। इस अवसर पर बिमलेश दुबे, भाजपा नेता शारदा शरण शर्मा, अकोडा नप उपाध्यक्ष राजकुमार शर्मा गुमने, पूर्व जिला पंचायत सदस्य आशु भदौरिया, पार्षद जितेन्द्र नरवरिया, डॉ. हेमंत शर्मा, डॉ. रमेश पाराशर, रामभरोसे लाल ने व्यासपीठ की आरती की।