आत्म संयम से स्वर्ग प्राप्त होता है, किन्तु असंयम नरक के लिए खुला राजपथ है : विनय सागर

पर्यूषण पर्व के छठवें दिन जैन मन्दिरों में मनाई गई सुगंध दशमी

भिण्ड, 24 सितम्बर। आत्म संयम से स्वर्ग प्राप्त होता है, किन्तु असंयम इन्द्रिय-लिप्सा अपार अंधकार पूर्ण नरक के लिए खुला हुआ राजपथ है। आत्म संयम की रक्षा अपने खजाने के समान ही करों, क्योंकि उससे बढकर इस जीवन में और कोई निधि नहीं है। जो पुरुष ठीक तरह से समझ-बूझकर अपनी इच्छाओं का दमन करता है, उसे मेघादिक सभी सुखद वरदान प्राप्त होते हैं। जिसने अपनी समस्त इच्छाओं को जीत लिया है, उसकी आकृति पहाड से बढकर प्रभावशाली होती है। यह विचार पर्यूषण पर्व के छठवें दिन रविवार को उत्तम संयम धर्म एवं 64 मण्डलीय सिद्धचक्र विधान में श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने लश्कर रोड स्थित चातुर्मास स्थल महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में धर्मसभा में व्यक्त किए।
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को उसी तरह अपने में खींचकर रखता है, जिस तरह कछुआ अपने हाथ पांव को खींचकर भीतर छुपा लेता है और समस्त आगामी जन्मों के लिए खजाना जमा कर लेता है। किसी को चाहे मत रोको, पर अपनी जिव्हा को जरूर रोको, उस पर लगाम लगाओ, क्योंकि बेलगाम जिव्हा बहुत दुख देती है। उन्होंने कहा कि यदि तुम्हारे एक शब्द से भी कष्ट पहुंचता है, तो तुम अपनी सब भलाई नष्ट कर लते हो। उस मनुष्य को देखो जिसने विद्या और बुद्धि प्राप्त कर ली है, जिसका मन शांत और पूर्णतया वश में है, धार्मिकता तथा अन्य सब प्रकार की भलाई उसके घर उसका दर्शन करने के लिए आती है। इसलिए अपने जीवन में संयम धर्म को धारण करें।

वहीं पर्यूषण पर्व पर शाम को मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में प्रश्नमंच, लकी ड्रॉ के साथ प्रतियोगिता अयोजित की गई। जिसमें विजेताओं को पुरुस्कार वितरण किए गए।
धूप की खुशबू से महक उठे मन्दिर
दिगंबर जैन समाज ने रविवार को सुगंध दशमी महापर्व मनाया। सभी मन्दिरों में सामूहिक धूपक्षेपण कार्यक्रम हुआ। शहर के कीर्तिस्तंभ मन्दिर, चैत्यलाया जैन मन्दिर, महावीर चौक जैन मन्दिर, भीम नगर दिगंबर जैन मन्दिर आदि जिनालय पर सुबह से ही भक्त कतार में अपने प्रभु की भक्ति करने लालायित नजर आए। सुबह से मुनि विनय सागर महाराज कीर्तिस्तंभ जैन मन्दिर में पीत वस्त्रधारी इन्द्रों ने दशलक्षण धर्म की पूजा की। नगर में जैन समाज के सुगंध दशमी पर्व की धूम रही। जिन भक्तों ने भाव पूजा के साथ धूप चढाकर सुगंध दशमी पर्व मनाया।
भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक कर आरती उतारी
मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य नितेश शास्त्री ने मंत्रों का उच्चारण कर इन्द्रों ने सिर पर मुकुट और पीले वस्त्रों पहनकर कलशों में जल भरकर भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक जयघोष के साथ किया। मुनि विनय सागर महाराज ने अपने मुखारबिंद से मंत्रों का उच्चारण कर अशोक नितिन जैन, सुभाषचंद्र दिनेश जैन एवं विकास जैन परिवार ने भगवान जिनेन्द्र के मस्त पर बृहद शांतिधारा की, वहीं महिलाओं और पुरुषों ने दीपकों से आरती उतारी।
64 मण्डलों पर चढाए महाअघ्र्य
सिद्धचक्र महामण्डल विधान में 64 मण्डलों पर अलग-अलग परिवार और सौधर्म इन्द्र राकेश जैन मुंबई, चक्रवर्ती राजा आयशा जैन, कुबेर इन्द्र चक्रेश जैन, ईशान इन्द्र सपना जैन जोली जैन, यज्ञ नायक सुनीता जैन सुनील जैन, महायज्ञ नायक प्रियांशु जैन, सानत कुमार ममता जैन परिवार सहित इन्द्र-इन्द्राणियों ने पूजा अर्चना ओर संगीतमय भजनों की भक्ति में झूमकर भगवान जिनेन्द्र के समझ महाअघ्र्य समर्पित किए।
फोटो 24 बीएचडी-14, 15