चंबलांचल का विकास चंबल प्रदेश गठन से ही संभव : चौबे

भिण्ड, 18 जुलाई। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग के संयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि चंबल नदी का उदय मालवा मध्य प्रदेश में हुआ है। मालवा से चली चंबल राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और किसान खुशहाल हुआ और चंबल अंचल में आकर चंबल नदी का अस्त हुआ। यहां का किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है, जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जल संगम है। क्वारी, चंबल, यमुना, सिंध और पहुज नदी संगम पर पंचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1983 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों-अरबों रुपए का बजट आता रहा है, लेकिन पचनदा बांध परियोजना पर काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष चौबे ने बताया कि अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता तो चंबल अंचल में भूमि कटाव कम होता, जमीन का वाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता, चंबल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूबा रहता है, किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। उन्होंने बताया चंबालचंल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दु को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसंबर 1999 से पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती अंतिम छोर पर 22 जिलों मिलकार पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की है। उप्र से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन झांसी और ललितपुर, मप्र से गुना शिवपुरी, आशेकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिण्ड, राजस्थान से धौलपुर, करौली, सवाई माधौपुर, कोटा, बारा, झालाबाड चंबल प्रदेश गठन की मांग में शामिल किए गए हैं। मांग के समर्थन में चंबल रथ यात्रा एवं हस्ताक्षर अभियान चलाया जाता है।
चौबे ने बताया कि पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग को लेकर राष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति एवं लोकसभा अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृह मंत्री नईदिल्ली के नाम से आवश्यक कार्रवाई हेतु ज्ञापन दिया गया है। उन्होंने बताया हनुमान सेना ने सत्ता से दूर रहकर पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की है, इतिहास इस बात का गवाह है। चंबलांचल का विकास चंबल प्रदेश गठन से ही संभव है। गठन का श्रेय किसे मिलेगा ये समय बताएगा।