खून की कमी महिलाओं में रोग और मृत्यु का बहुत बड़ा कारण : डॉ. सक्सेना

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भिण्ड की मासिक बैठक आयोजित

भिण्ड, 27 अप्रैल। भारत में ही नहीं वरन विश्व में एनीमिया की समस्या पाई जाती है, खासतौर से गर्भवती महिलाओं में यह समस्या ज्यादा पाई जाती है। जिसके चलते गर्भ के दौरान महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती है। इसका मुख्य कारण लोगों में पौष्टिक आहार के प्रति जागरुकता का अभाव है। समय पर चिकित्सा परामर्श नहीं लेना, दवा का सेवन नहीं करना है। यह बात डॉ. विनोद सक्सेना ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शाखा भिण्ड द्वारा स्थानीय होटल में आयोजित मासिक बैठक में कही।
उन्होंने बताया कि आयरन के कमी से एनीमिया सबसे ज्यादा होता है, जिससे मरीज की वृद्धि प्रभावित होती है। वजन और लंबाई मे कमी के साथ मांस पेशियों मे भी कमजोरी आती है। गर्भवती स्त्रियों, जिनका हीमोग्लोबिन पांच से काम होता है उनकी डिलीवरी के दौरान 40 प्रतिशत में मृत्यु की संभावना होती है, साथ ही समय से पूर्व डिलीवरी, उच्च रक्तचाप, झटके आना, डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग आदि जटिलताएं आम है। इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है। बच्चा समय से पूर्व काम वजन का, उसका विकास भी रुकता है, ज्यादा बीमार रहता है तथा मृत्यु तक हो जाती है। ऐसे में हमें चिकित्सक से संपर्क करके बताई हुए दवा का सेवन करना चाहिए। पौस्टिक आहार, हरी सब्जियां, फल, दाल एवं लोहे की कढ़ाई में पका खाना ही खाना चाहिए।
मुख्य अतिथि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भिण्ड डॉ. यूपीएस कुशवाह ने बताया कि सरकारी स्तर पर गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर जांच होती है व उनको नि:शुल्क आयरन की गोलियां भी प्रदान की जाती हैं। पौस्टिक आहार के बारे में भी जानकारी दी जाती है। इसमें और गति लाने के लिए आईएमए व अन्य समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा।
इस अवसर पर डॉ. केके दीक्षित ने कहा कि आरओ पानी के ज्यादा सेवन से भी शरीर में विटामिंस और मिनरल्स काम हो जाते हैं, जिससे भी एनमिया हो जाता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राधेश्याम शर्मा ने बताया कि पूर्व में रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से बच्चों का हीमोग्लोबिन और रक्त समूह चेकअप का अभियान चलाया जाता था, जिससे बालिकाओं मे जागरुकता लाने का प्रयास हुआ था, पर कुछ सालों से ये कार्यक्रम बंद हो गया है, जिसको प्रारंभ करने की आवश्यकता है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. गुलाब सिंह ने कहा कि एनीमिया की समस्या से सबसे ज्यादा महिला चिकित्सकों का सामना होता है और वे उस जटिल स्तिथि में भी डिलीवरी संपन्न करती हैं, ये उनकी अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना का सूचक है। इसके अतिरिक्त भी शल्य रोग, अस्थि रोग विशेषज्ञ व मेडिसिन विशेषज्ञ भी इस समस्या से पीडि़त गंभीर मरीजों का तत्परता से इलाज करते हैं। इसीलिए सभी को आमजनों को जागरुक करने का हर संभव प्रयास सदैव करना चाहिए।
अंत में अरिस्टो फार्मा कंपनी की तरफ से डॉ. विनोद सक्सेना को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सचिव डॉ. हिमांशु बंसल ने किया। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. अनिल गोयल, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. विनोद वाजपेयी, डॉ. यशवंत सिंह, डॉ. जेएस यादव, डॉ. रविन्द्र चौधरी, डॉ. श्याम माहेश्वरी, डॉ. वैभव अग्रवाल, डॉ. पूजा अग्रवाल, डॉ. उमेश शर्मा, डॉ. रेनू शर्मा, डॉ. शालिनी जैन, डॉ. आरके अग्रवाल, डॉ. पुलक जैसवानी, डॉ. टीएन सोनी, डॉ. विनीत गुप्ता भी उपस्थित थे।