सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल लगा रहे हैं शासन को चपत

पांच साल में 90 छात्रों पर एक करोड़ 40 लाख खर्च
गोहद विकास खण्ड में ग्राम असुई के अनुदान प्राप्त स्कूल का मामला

भिण्ड, 03 सितम्बर। जिले में अनेक निजी विद्यालय शासन से अनुदान लेकर संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों में छात्र संख्या निरंक जैसी है और जो रिकार्ड में दिखाई जा रही है, वह भी फर्जी तरीके से दर्ज होकर धरातल पर स्कूल जैसा कुछ भी नहीं है। ऐसा ही एक विद्यालय गोहद विकासखण्ड के ग्राम असुई में संचालित है।
आरटीआई कार्यकर्ता संजीव शर्मा को संकुल केन्द्र शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोहद एवं विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी गोहद से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है। अधिकारियों से प्राप्त रिकार्ड के अनुसार गोहद विकासखण्ड के ग्राम असुई में कागजों में संचालित गणेश प्राथमिक विद्यालय में साल 2016-17 में 19, 2017-18 में 18, 2018-19 में 20, 2019-20 में 17, 2020-21 में 16 सहित पांच साल में केवल 90 छात्र दर्ज बताए गए हैं। इन छात्रों के लिए दो शिक्षकों की तैनाती है और वह भी पिता-पुत्र हैं। इनकी नियुक्ति फर्जी तौर पर समिति द्वारा कर ली गई है। आरटीआई कार्यकर्ता संजीव शर्मा का कहना है कि जिले में फर्जी तरीके से संचालित अनुदान प्राप्त विद्यालयों की कुण्डली निकाली जा रही है,

इतना मिला अनुदान

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार इस विद्यालय को शासन द्वारा साल 2015-16 में 85,491 रुपए, 2016-17 में 1,10,640 रुपए, 2017-18 में 4,55,350 रुपए, 2018-19 में 3,46,526 रुपए एवं साल 2019-20 में 3,77,794 रुपए सहित पांच साल में कुल एक करोड़ 39 लाख 5801 रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है। जो विद्यालय स्टाफ एवं जिस व्यय के लिए मिला उसे हजम कर लिया गया है।

भवन के नाम पर टीनशेड भी नहीं

गोहद विकास खण्ड के ग्राम असुई में संचालित गणेश प्राथमिक विद्यालय हालांकि शासन द्वारा अनुदान प्राप्त है, जो कई सालों से संचालित है। लेकिन इस विद्यालय के पास अपना कोई निजी भवन नहीं है और सलीके का किराए का भवन भी उपलब्ध नहीं है। जो भवन निरीक्षण के दौरान दर्शाया जाता है उसमें पांच कमरे, आंगन, बरामदा, सीमेंट की खपरैल एवं खेल का मैदान बताया जाता है, लेकिन धरातल पर कुछ भी विद्यालय जैसा नहीं है।

कभी नहीं लगता स्कूल

ग्राम असुई के गणेश प्राथमिक विद्यालय के हालात यह हैं कि वहां कभी भी क्लास नहीं लगाए जाते हैं। हालांकि अभी कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं लेकिन इससे पहले भी कभी क्लास नहीं लगाए गए। इसका कारण यह कि उस विद्यालय में दर्ज बच्चे कोई गोहद, कोई झांकरी अथवा कहीं और अध्ययनरत हैं। यहां तो महज नाम दर्ज कर भरपाई की गई है।

कैसे हो जाता है निरीक्षण

जब हालात यह हैं तो उस विद्यालय को अनुदान एवं मान्यता के लिए निरीक्षण कैसे हो जाता है। निरीक्षण का दायित्व बीईओ का होता है, जो अपने घर पर ही विद्यालय का रिकार्ड मंगाकर अपनी जेब गर्म करते हैं और निरीक्षण की ओके रिपोर्ट दे दी जाती है। ऊंचे स्तर पर यदि निरीक्षण कराया जाय तो पहली ही बार में उस विद्यालय की मान्यता और अनुदान दोनों ही समाप्त हो जाएंगे। लेकिन संबंधित अधिकारी अपनी जेबें गर्म करते हैं और संस्था शासन को चपत लगाने में लगी हुई है।