भिण्ड, 22 जून। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार एवं विश्व मानवता के कल्याण हेतु भक्तों के निवेदन पर पूज्यपाद अनंतश्री विभूषित काशीधर्म पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराजश्री का चंबल प्रवास अमन आश्रम परा, अटेर में मंगलवार को हुआ है। जहां पर 26 जून रविवार तक महाराजश्री प्रवास करेंगे।
आगमन के पश्चात महाराजश्री ने भक्तों को उपदेश देते हुए कहा कि फल की कामना को त्यागकर ईश्वरार्पण बुद्धि से कर्म करने वाला पुरुष सन्यासी तथा योगी है। वास्तव में कर्मयोग की प्रशंसा करने की दृष्टि से ही उसे सन्यासी के समकक्ष कहा गया है। निष्काम कर्म की साधना द्वारा चित्त शुद्ध होने पर ज्ञान का उदय हो जाता है तथा कर्मयोग के साधक को भी ज्ञान प्राप्ति हो जाती है। कर्म, भक्ति अथवा ज्ञान परमात्मा के साथ एकत्व स्थापित करने पर योग हो जाते हैं। भक्ति भाव पूर्ण योगी सर्वश्रेष्ठ योगी होता है।
शंकराचार्य जी ने बताया कि भगवान शिव का चरित्र श्रवण समस्त मानव जाति के लिए आध्यात्मिक उन्नति का परम साधन है। मनुष्य का यथार्थ जीवन एवं जीवन का मूल श्रोत उसके भीतर ही होते हैं तथा बाहरी जगत केवल व्यवहार जगत अथवा कर्मक्षेत्र होता है। मनुष्य जीवन में गुरु चरणाश्रय के बिना अनेकों दु:ख आते हैं। ईश्वर हमारे पास ही रहते हैं, लेकिन बिन गुरू कृपा के ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है। पुण्य कर्म जन्य क्रिया से उत्पन्न होता है। गुरू के उपदेश से होने वाला आत्मदर्शन ही समस्त देवताओं का प्रशस्त दर्शन है।
नारायण सेवा समिति ने जानकारी देते हुए बताया कि अगले वर्ष 21 से 30 मार्च 2023 तक काशीधर्म पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी के सानिध्य में अमन आश्रम परा में विशाल शिवशक्ति महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया जाएगा। जिसकी तैयारियां जल्द ही शुरू होंगी, यज्ञ में समस्त क्षेत्रवासियों की सहभागिता रहेगी।