भिण्ड, 25 अप्रैल। प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है। यह बात शा. उत्कृष्ट उमावि विद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर के दौरान नवागत जिला विधिक सहायता अधिकारी सौरभ कुमार दुबे ने कही।
उन्होंने कहा कि वे सभी अधिकार जो मानव-जीवन के लिए आवश्यक एवं अपरिहार्य है, मूलभूत अधिकारों की श्रेणी में आते हैं, जैसे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का आधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, जीवन जीने का आधिकार आदि। आज के बच्चे कल के राष्ट्र के भविष्य हैं, इन्हें अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति सजग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिले मे स्थापित विधिक सेवा प्राधिकरण जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क कानूनी सेवा प्रदान करता है और लोक अदालतें चलाता है। यदि आपका कोई परिचित व्यक्ति नशे के कारण अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है, तो उसे हमारे संपर्क में लाइए, हम उसकी काउंसलिंग करके उसे सामान्य जिंदगी जीने के लिए प्रेरित कर समाज की मुख्य धारा से जोडऩे का हर संभव प्रयास करेंगे।
शिविर के दौरान नशामुक्ति कार्यशाला भी चलाई गई, जिसमें छात्र और शिक्षकों ने नशे से बर्बाद होती युवा पीढ़ी और बचाव विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान ओपन सेशन में छात्रों द्वारा किए गए सवालों का समाधान जिला विधिक सेवा अधिकारी द्वारा किया गया। साथ ही न्यायिक क्षेत्र में जाने के इच्छुक छात्र-छात्राओं की कैरियर काउंसलिंग भी की गई। छात्र हर्षित यादव, आलिया अरसद, नेहा भदौरिया, मधु बंसल, रौनक, हिमांशु नरवारिया, कृष्णा, विशाल, मीनाक्षी दुबे, तनुष्का वर्मा, मदन राठौर आदि ने सवाल कर अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। इस मौके पर वरिष्ठ व्याख्याता आरबी शर्मा, शिक्षक यूसी श्रीवास्तव, सुभाष दादौरिया, पीएलवी जितेन्द्र शर्मा और एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी धीरज सिंह गुर्जर उपस्थित रहे।