– राकेश अचल
औरों की छोड़िए अब सुप्रीम कोर्ट भी पेंडोरा बॉक्स खोलने से डरता है। पेंडोरा बॉक्स भारतीय मुहावरा या कहावत नहीं है। हमारे यहां इसके लिए पिटारी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार बार इस कहावत का इस्तेमाल करने लगा है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई का तो ये प्रिय जुमला बन गया है। यही जुमला दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें राजनीतिक दलों में काम करने वाली महिलाओं को पॉश कानून के तहत सुरक्षा देने की मांग की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों को पॉश कानून 2013 के दायरे में लाया जाए। आपको बता दूं कि महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम को पॉश कानून कहा जाता है।
बात गत 15 सितंबर की है। उस दिन हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, राजनीतिक दलों को कार्य स्थल या ऑफिस नहीं माना जा सकता। किसी राजनीतिक दल की सदस्यता लेना और नौकरी करना, दोनों अलग बातें हैं। इस याचिका को स्वीकार करना पैंडोरा बॉक्स खोलने जैसा होगा। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी, अगर कोर्ट यह कहता है कि नया कानून बनाने से समस्याएं खड़ी होंगी या कानून का दुरुपयोग होगा, तो ऐसे उदाहरण हर कानून में मिल सकते हैं।
याचिका कर्ता की ओर से दलील दी गई कि जिस तरह अन्य पेशों या नौकरियों में महिलाओं को कानून के तहत सुरक्षा मिली हुई है, उसी तरह राजनीति से जुड़ी महिलाओं को भी सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्हें इस कानून से बाहर रखने का कोई ठोस कारण नहीं है। इसलिए कोर्ट को राजनीतिक दलों को भी पॉश कानून के तहत आंतरिक शिकायत समितियां (आईसीसी) बनाने का निर्देश देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक क्षेत्र की महिलाओं को पॉश कानून का संरक्षण नहीं मिलेगा, जिसने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस तेज कर दी है। साल 2022 में केरल हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में राजनीतिक दलों को पॉश एक्ट के दायरे में लाने की मांग की गई थी। उस समय हाईकोर्ट ने कहा, पॉश एक्ट की धारा 2(ओ) के तहत कार्य स्थल की परिभाषा में राजनीतिक दल शामिल नहीं हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता कर्मचारी नहीं माने जाते और राजनीतिक दल संस्थान नहीं समझे जाते। इसलिए उन पर आईसीसी बनाने की बाध्यता लागू नहीं होती।
योगमाया एमजी ने केरल हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखा। अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। अब आपको पेंडोरा बॉक्स की कहानी भी सुना दूं। पेंडोरा बॉक्स ग्रीक पौराणिक कथा से लिया गया एक प्रसिद्ध प्रतीक है। ग्रीक कथा के अनुसार, पेंडोरा धरती पर पहली महिला थीं, जिन्हें देवताओं ने बनाया था। देवताओं ने उन्हें एक बक्सा दिया और कहा कि इसे कभी मत खोलना। लेकिन जिज्ञासा वश पेंडोरा ने बक्सा खोल दिया। जैसे ही ढक्कन खुला, उसमें से सारी बुराइयां, दुख, बीमारी, ईर्ष्या, लालच और विपत्तियां दुनिया में फैल गईं। घबराकर पेंडोरा ने तुरंत बक्सा बंद किया, लेकिन तब तक लगभग सब कुछ बाहर आ चुका था। बक्से के अंदर केवल ‘आशा’ बची रह गई। तभी से पेंडोरा का बॉक्स एक मुहावरे के रूप में प्रयोग होता है। इसका मतलब है- किसी ऐसे काम की शुरुआत करना जो छोटी-सी गलती या जिज्ञासा से बड़ी मुसीबत खड़ी कर दे। कोई ऐसा स्त्रोत, जिससे अनजानी समस्याएं और कठिनाइयां निकल पड़ें। आज-कल राजनीति, कानून, तकनीक और साहित्य में ये कहावत खूब प्रचलित हैं।
सुप्रीम कोर्ट आज-कल लगभग हर प्रमुख मामले मे पेंडोरा बाक्स का जिक्र कर दांए-बांए से निकलकर फैसले सुन रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक/ रिपोर्टेड दस्तावेजों और मीडिया कवरेज में ‘पेंडोरा बॉक्स’ का उल्लेख कम से कम 6 बार मिला। कभी-कभी लगता है कि हमारी न्यायपालिका जान-बूझकर पेंडोरा बॉक्स को ढाल के रुप में इस्तेमाल करने लगी है। ये जरूरी है या मजबूरी मैं नहीं कह सकता। मेरी धारणा तो ये है कि यदि सुप्रीम कोर्ट जैसी साधिकार संस्था भी पेंडोरा बाक्स खोलने में संकोच करेगी तो किसी दूसरे में तो इसे खोलने की शक्ति ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एएस चंदुरकर शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश गवई ने पूछा, राजनीतिक दल किसी को रोजगार पर नहीं रखते। ऐसे में किसी पार्टी को कार्यस्थल या दफ्तर कैसे माना जा सकता है? उन्होंने कहा, जब कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल से जुड़ता है तो यह रोजगार नहीं होता क्योंकि उसे वेतन नहीं दिया जाता। इस याचिका को स्वीकार करना पैंडोरा बॉक्स खोलने जैसा होगा।
बहरहाल पेंडोरा बॉक्स यानि संपेरे की पिटारी को न सुप्रीम कोर्ट हाथ लगा रहा है न कार्यपालिका और विधायिका। चौथा स्तंभ ही जब कभी दुस्साहस करता है इसे खोलने का। भगवान जाने ये पेंडोरा बॉक्स कब तक हम सबको डराता रहेगा।