षड्यंत्रकारी कृत्यों के विरोध में गोहद के समाजसेवियों ने सौंपा ज्ञापन

भिण्ड, 11 सितम्बर। गोहद किला स्थित भीमाशंकर महादेव मन्दिर में लगातार हो रहे अवैध, अपमानजनक व षड्यंत्रकारी कृत्यों के विरोध में गोहद के समाजसेवियों ने कलेक्टर भिण्ड तथा पुरातत्व विभाग, भारत सरकार के नाम एसडीओपी गोहद, तहसीलदार वृत्त एण्डोरी एवं थाना प्रभारी गोहद को ज्ञापन सौंपे।
ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि गोहद किला स्थित भीमाशंकर महादेव मन्दिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देख-रेख में संरक्षित है तथा इसका पुनर्निर्माण भी शासन द्वारा विधिवत टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था। मन्दिर की पूजा-अर्चना के लिए नियुक्त पुजारी को कई दशकों से शासन द्वारा नियमित मासिक वेतन दिया जाता रहा है। यह तथ्य स्पष्ट करता है कि यह मन्दिर न केवल सनातन आस्था का केन्द्र है, बल्कि शासन-मान्य व संरक्षित धार्मिक धरोहर भी है। किन्तु हाल ही में इस मन्दिर व किला परिसर में लगातार गंभीर, आपराधिक एवं षड्यंत्रकारी घटनाएं घटित हुई हैं, जो इस प्रकार हैं।
मन्दिर मार्ग का दरवाजा अवैध तरीके से बंद किया जाना
शिवमहापुराण कथा एवं अखंड महाशिव अभिषेक सम्पन्न होने के तुरंत बाद मन्दिर का मुख्य मार्ग अचानक गेट लगाकर बंद कर दिया गया। इससे श्रद्धालुओं का परंपरागत मार्ग बाधित हुआ। यह आईपीसी धारा 295, 295-ए तथा प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल अधिनियम, 1958 की धारा 30 का घोर उल्लंघन है।
श्रद्धालुओं का अपमान व धक्का-मुक्की
मन्दिर में आने वाले भक्तों को गार्ड एवं कर्मचारियों द्वारा रोका गया, धक्का दिया गया और अपमानित किया गया। यह आईपीसी धारा 341 (गैरकानूनी रोकथाम) एवं 295-ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करना) के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है।
चौकीदार का अपमानजनक कृत्य
मन्दिर के ऊपर अंकित ‘भीमाशंकर महादेव’ नाम को चौकीदार ने जानबूझकर सीमेंट से पोतकर छिपा दिया। यह न केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान है बल्कि आईपीसी धारा 295 तथा पुरातत्व अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत गंभीर अपराध है।
गोहद किला परिसर में अतिक्रमण व हरे रंग का पोतना
किले की प्राचीर एवं परिसर में सुनियोजित तरीके से हरे रंग का पोत किया जा रहा है और जगह-जगह अतिक्रमण का प्रयास किया जा रहा है। यह जानबूझकर हिंदू आस्था को आहत करने और समाज में अस्थिरता फैलाने का षड्यंत्र प्रतीत होता है। यह आईपीसी धारा 153, 505(2) तथा प्राचीन स्मारक अधिनियम की धारा 19 व 30 का उल्लंघन है।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र है। इससे सनातन आस्था पर आघात और समाज में सांप्रदायिक अस्थिरता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने वाले संरक्षित स्थल पर इस प्रकार की मनमानी गंभीर अपराध है।
ज्ञापन में मांग की गई है कि दोषी चौकीदार को तत्काल निलंबित कर उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए। मन्दिर मार्ग को तत्काल खोला जाए और परंपरागत आवागमन स्थाई रूप से सुनिश्चित किया जाए। किला परिसर में हरे रंग का पोतना एवं अतिक्रमण कार्य तत्काल रोका जाए और जिम्मेदारों पर कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाए। संपूर्ण प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर इसमें संलिप्त अधिकारियों/ कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। मन्दिर एवं पुजारी से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज (टेंडर, वेतन भुगतान अभिलेख आदि) सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किए जाएं, जिससे षड्यंत्र की वास्तविकता उजागर हो। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु स्थायी सुरक्षा व्यवस्था की जाए। यदि हमारी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो गोहद नगरवासी, संत समाज एवं श्रद्धालु विशाल आंदोलन व सत्याग्रह करने को बाध्य होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन एवं विभाग की होगी।
ज्ञापन देने वालों में पुखराज भटेले, गौरवराज सोनी, कौशल भटेले, आकाश बाजपेई, शिवम पंडित, ध्रुव शर्मा, ध्रुव बोहरे, आशीष शर्मा, मयंक कांकर, विवेक शर्मा, भूरा यादव, ललित शुक्ला, गोलू यादव, भोला जाटव, भव्य गुप्ता, रोहित गोयल, अभिषेक बाथम, विवेक यादव, सूरज बाथम, पुच्ची पंडा, अजय जाटव, विकास मौर्य, भूरा पंडित, अनिकेत पंडित, बलदाऊ भटेले, सौरभ खटाना, सुमित तोमर, अमित प्रजापति, आकाश प्रजापति, मोहित जोशी, अजय शर्मा, सागर शर्मा, गौतम भटेले, अंकुश गौर, गौरव राठौर, कान्हा दुवे, वंश शर्मा, जय पाराशर, नंदे गुर्जर सहित गोहद नगरवासी, श्रद्धालु एवं संत समाज शामिल थे।