– बोरेश्वर धाम में चल रही शिव महापुराण कथा का हुआ समापन
भिण्ड, 07 अगस्त। श्रावण मास के पावन अवसर पर बोरेश्वर महादेव धाम अटेर में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ का गुरूवार को श्रद्धा, भक्ति और राष्ट्रधर्म के आह्वान के साथ दिव्य और भव्य समापन हुआ। यह कथा मात्र धार्मिक आयोजन नहीं रही, यह एक राष्ट्र जागरण अभियान बन गई, जिसका उद्देश्य था कैलाश मुक्ति। समस्त आयोजन का केन्द्र बिन्दु कैलाश मुक्ति अभियान रहा, जिसके माध्यम से भारत तिब्बत सहयोग मंच ने यह संकल्प दोहराया कि कैलाश पर्वत की मुक्ति केवल धार्मिक नहीं, यह राष्ट्रीय चेतना का विषय है।
कथावाचक आचार्य प्रशांत तिवारी का प्रमुख आध्यात्मिक संदेश है कि कैलाश केवल एक पर्वत नहीं, वह सनातन आत्मा का ध्रुव तारा है। जो शिव को चाहते हैं, उन्हें भारत की रक्षा करनी ही होगी। श्रवण मास संयम, संकल्प और समर्पण की त्रिवेणी है। शिव भक्ति केवल आराधना नहीं, राष्ट्ररक्षा की साधना है। समापन पर आचार्य जी ने आह्वान किया कि अब समय है जब शिवभक्त केवल मन्दिरों तक सीमित न रहें, वे राष्ट्र निर्माण के लिए आगे आएं। कैलाश मुक्ति अभियान कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं, यह शिवत्व की पुकार है।
संतजनों का मार्गदर्शन व आशीर्वाद
इस आयोजन में अनेक संत महापुरुषों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। सभी ने मंच के इस संकल्प को ‘धर्म और राष्ट्र रक्षा का यज्ञ’ कहा। प्रमुख संतों के वचन, चंबल बरही के गोपालदास महाराज ने कहा कि कैलाश शिव का धाम है और शिव का स्थान परतंत्र नहीं हो सकता। धार्मिक जागरण के साथ राष्ट्रधर्म का संकल्प लेना ही सच्ची भक्ति है। पगलदास बाबा के शिष्य अमरदास महाराज ने कहा कि जिसने कैलाश के लिए आवाज उठाई, उसने महादेव को साक्षात पुकारा।
प्रत्येक दिवस का संक्षिप्त भावार्थ
शिव महापुराण कथा के प्रथम दिवस भूमि पूजन व गणेश वंदना के साथ कथा आरंभ हुआ। द्वितीय दिवस शिव विवाह प्रसंग-मातृशक्ति की सामाजिक भूमिका पर विशेष प्रवचन हुए। तृतीय दिवस त्रिपुरासुर वध-जब अधर्म बढे, तो महाशिव संहार करते हैं। चतुर्थ दिवस पार्वती तप व गणेश उत्पत्ति-संयम, सेवा और विवेक का महत्व बताया। पंचम दिवस कामदेव दहन-इन्द्रिय संयम और साधना की शक्ति का महत्व बताया। षष्ठम दिवस शिव तांडव-सृष्टि की गति और धर्म रक्षा का उदघोष हुआ। सप्तम दिवस (समापन) कैलाश मुक्ति का राष्ट्रधर्मी संकल्प लिया गया। इन सातों दिवस में सामाजिक सहयोग से साधु भक्तों कथा श्रोताजनों को सुबह अल्पहार शाम को भोजन प्रसादी वितरण भी होती रही।
मंच का आह्वान- कैलाश मुक्ति हेतु राष्ट्रव्यापी जनजागरण
भारत तिब्बत सहयोग मंच के बैनर तले उपस्थित कार्यकर्ताओं, मातृशक्ति, युवा वर्ग एवं संत समाज ने सामूहिक संकल्प लिया कि जब तक कैलाश मुक्त नहीं, तब तक शिवभक्त मौन नहीं रहेगा। मुक्त कैलाश-आजाद तिब्बत-सुरक्षित भारत।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्पित एम मुदगल ने कहा कि मंच के आह्वान पर यह केवल एक धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और सांस्ृकतिक जागरण का संकल्प है। कैलाश महादेव का धाम संपूर्ण सनातन समाज की श्रद्धा और अस्मिता का प्रतीक है। भारत तिब्बत सहयोग मंच के माध्यम से हम इस आवाज को राष्ट्रव्यापी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाएंगे, ताकि मुक्त कैलाश, आजाद तिब्बत, सुरक्षित भारत का सपना साकार हो। कथा समापन पर सामूहिक शंखनाद और भगवा ध्वज लहराते हुए सभी श्रद्धालुओं ने ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ कैलाश मुक्ति संकल्प दोहराया।