– राकेश अचल
अहमदाबाद में एयर इंडिया के वोइंग विमान के क्रेश होने की खबर जब वायरल हुई उस समय मैं एक सुपरफास्ट रेल में सफर कर रहा था। हादसे की खबर सुनकर मैं सिहर उठा। थोडी ही देर में हादसे की तस्वीरें भी आना शुरू हो गईं, जिन्हें देख कुछ देर के लिए लगा जैसे सांस रुक रही है। बोइंग में 242 यात्री थे और जीवित बचा सिर्फ एक। इसे चमत्कार कहा जाए तो कम नहीं होगा। हर हादसा एक त्रासदी होता है और हर मौत दुखद लेकिन कोई भी हवाई त्रासदी सबसे दुखद होती है, क्योंकि हवाई हादसों में किसी के भी बचने की संभावना नगण्य होती है।
बात 12 जून 2025 की है। अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास मेघानी नगर इलाके में एयर इंडिया की फ्लाइट आई-171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) टेकऑफ के कुछ सेकेंड बाद दुर्घटना ग्रस्त हो गई। यह विमान अहमदाबाद से लंदन (गैटविक) जा रहा था और इसमें 242 लोग सवार थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक शामिल थे। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत 204 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, जबकि दीव के रमेश विश्वास कुमार एकमात्र जीवित बचे।
विमान ने दोपहर 1:38 बजे रनवे 23 से उडान भरी और तुरंत मायडेय संदेश भेजा, जिसके बाद एटीसी से संपर्क टूट गया। यह विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल बिल्डिंग से टकराया, जिससे आग लग गई और घना काला धुआं उठा। मलबा 1.5 किमी तक फैला। प्रारंभिक जांच में इंजन की तकनीकी खराबी, पायलट की गलती, या टेकऑफ के दौरान बाधा को संभावित कारण बताया गया।
बचाव और राहत कार्य-
एनडीआरएफ, बीएसएफ, सेना और फायर ब्रिगेड की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। 7 दमकल गाडियों ने आग बुझाने का काम शुरू किया। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया और ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। अहमदाबाद हवाई अड्डा अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया, जिससे यात्रियों को परेशानी हुई। रेलवे ने विशेष ट्रेनें शुरू कीं।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू और गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद पहुंचे। जांच के लिए डीजीसीए और अन्य एजेंसियां सक्रिय हैं। प्रधानमंत्री भी संभवत: मौके पर जाएंगे। टाटा ग्रुप ने मृतकों के परिजनों के लिए एक करोड रुपए मुआवजे की घोषणा की। इस हवाई हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया। पीएम मोदी, सीएम भूपेन्द्र पटेल, और अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दुर्घटना की भयावहता दिखी। कुछ यात्रियों ने हादसे से पहले विमान में खामियों की शिकायत की थी, जिसकी जांच की मांग उठी।
मैं पिछले दो दशक में सैकडों घण्टे की हवाई यात्रा का साक्षी हूं। हवा में 30-40 हजार फीट ऊपर घण्टों तक उडना जान हथेली पर रखने जैसा होता है, किंतु उन्नत तकनीक और घोर प्रशिक्षण से गुजरे अनुभवी पायलट हर विमान यात्री के लिए देवदूत जैसे होते हैं। विमान बवंडर में फंसे या बादलों में प्राण कंठ में आ जाते हैं। आपदा के समय बताए जाने वाले तमाम सुरक्षात्मक उपाय उस समय धरे रह जाते हैं जब कोई भी विमान हादसे का शिकार होता है। ऐसे हादसों के बाद लालबहादुर शास्त्री और माधवराव सिंधिया जैसे मंत्री नैतिकता के चलते अपने पदों से इस्तीफे तक दे देते हैं। लेकिन ये गुजरे जमाने की बात हो चुकी है।
टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान हादसे सबसे आम हैं, वर्ष 2023 के वैश्विक आंकडों (109 हादसों में 37 टेकऑफ के दौरान) से पता चलता है। यह एक दुखद घटना है और जांच से हादसे के सटीक कारणों का पता चलने की उम्मीद है। हाल के आंकडों के अनुसार, हवाई यात्रा को परिवहन का सबसे सुरक्षित साधन माना जाता है, लेकिन दुर्घटनाओं का प्रतिशत समझने के लिए कुछ तथ्य महत्वपूर्ण हैं- एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के अनुसार, 2017 से 2023 के बीच दुनियाभर में 813 विमान हादसे हुए, जिनमें 1,473 यात्रियों की मौत हुई। यह संख्या कुल उडानों की तुलना में बहुत कम है। 2023 में इंटर नेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 3.7 करोड से अधिक उडानें हुईं। एसोसिएशन का दावा है कि यदि कोई व्यक्ति एक लाख तीन हजार 239 साल तक हर दिन विमान में सफर करे, तो एक घातक दुर्घटना की संभावना होगी।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक अध्ययन (2018-2022) के अनुसार, 1.34 करोड यात्रियों में से केवल एक को घातक दुर्घटना का जोखिम है। 2024 में चार घातक दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 (कोई घातक हादसा नहीं) से अधिक थीं। फिर भी कुल उडानों की संख्या के आधार पर दुर्घटना दर कम रही। पिछले पांच सालों में भारत में केवल एक घातक विमान हादसा हुआ, जिसमें यात्रियों की मौत हुई। 2017-2023 के बीच भारत में 14 हादसे दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा हादसे टेक-ऑफ (37 प्रतिशत) और लैंडिंग (30 प्रतिशत) के दौरान होते हैं। अर्थात हवाई यात्रा की दुर्घटना दर अन्य परिवहन साधनों (जैसे सडक, रेल) की तुलना में बहुत कम है। सडक हादसों में भारत में 2022 में 61 हजार से अधिक मौतें हुईं, जबकि हवाई हादसों में यह संख्या नगण्य थी। सख्त नियम, उन्नत तकनीक, और प्रशिक्षण के कारण हवाई यात्रा सुरक्षित बनी हुई है। लेकिन हवाई दुर्घटना सबसे भयावह होती है अहमदाबाद की दुर्घटना की तरह।