ग्रीष्मकालीन शिविर में ईको-सस्टेनेबिलिटी और भारतीय परंपराओं पर रहा विशेष जोर

ग्वालियर, 07 मई। कृष्णायन संस्था द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर के दूसरे दिन मुख्य विषय ‘ईको-सस्टेनेबिलिटी’ जिसमें पर्यावरणीय उत्तर दायित्व, संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग और भारतीय पारंपरिक ज्ञान की प्रासंगिकता को उजागर किया गया। दिन की शुरुआत प्राणायाम और योग सत्र से हुई, जिसका संचालन प्रीति गुप्ता जी ने किया। इस सत्र ने प्रतिभागियों को मानसिक शांति और ऊर्जा से परिपूर्ण वातावरण प्रदान किया। इसके पश्चात रीड विद रिदम एंड रेस्ट विथ माइंड फुलनेस विषय पर एक अभिनव वर्कशॉप आयोजित हुई, जिसमें बच्चों को ध्यान, एकाग्रता और आत्मचिंतन के महत्व से अवगत कराया गया। रामअवतार द्वारा लिया गया सत्र जल का महत्व और ‘जीवित जल’ कैसे बनाएं अत्यंत प्रेरणादायक रहा। इस सत्र में वैदिक परंपराओं और प्राकृतिक विधियों के माध्यम से जल को पुनर्जीवित करने की प्रक्रियाएं साझा की गईं।
इसके बाद रवि कुलश्रेष्ठ ने बांसुरी की मधुर धुनों से बच्चों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि संगीत, विशेषकर बांसुरी, छात्रों की एकाग्रता को बढाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में अत्यंत सहायक है। आईएएस प्रमोद शुक्ला, उप निदेशक, शहरी विकास विभाग भी वहां पधारे। उन्होंने शिविर की सराहना करते हुए कहा कि यह शिविर सेवा, शिक्षा और सनातन संस्कृति का सजीव संगम है, जो बच्चों को जीवन के मूल्यों और पर्यावरणीय चेतना से जोडता है। यह शिविर न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि बच्चों को जीवन में आत्मनिर्भर, अनुशासित और प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास है।