उत्तम उद्देश्य के लिए उत्तम प्रयास और शिक्षित होना जरूरी है : प्रो.तोमर

-शिक्षा से ही समाज में परिवर्तन संभव है : प्राचार्य चौहान
– बाबा साहेब का व्यक्तित्व छात्रों के लिए अनुकरणीय है : प्रो. गुप्ता
– उत्कृष्ट विद्यालय में धूमधाम से मनाई गई डॉ. अम्बेडकर की जयंती

भिण्ड, 14 अप्रैल। भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 135वीं जयंती राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई शा. उत्कृष्ट उमावि क्र.एक भिण्ड द्वारा प्राचार्य पीएस चौहान की अध्यक्षता में धूमधाम के साथ मनाई गई। बाबा साहेब के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। लीड कॉलेज एमजेएस के प्रो. डॉ. आशीष गुप्ता मुख्य अतिथि तथा इतिहास के प्रो.देवेंद्र तोमर मुख्य वक्ता के रूप में मंचासीन रहे। रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. धीरज सिंह गुर्जर ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत कर स्वागत भाषण दिया। छात्रों और वक्ताओं ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवनवृत्त पर विस्तार से अपने विचार रखे। एनएसएस स्वयं सेविका अंशिका मिश्रा ने गीत के माध्यम से कहा कि ‘न गीता से, न कुरान से, देश चलता है संविधान से’। कार्यक्रम का संचालन क्रतिकांता यादव ने किया।
मुख्य वक्ता प्रो. तोमर ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान देते हुए कहा कि बाबा साहेब एक महान शिक्षाविद, विधिवेत्ता, इतिहासकार और समाज सुधारक थे, जिहोने जीवन पर्यंत दलित और वंचितों के मसीहा के रूप में कार्य किया और उन्हें समाज में समानता का अधिकार दिलाया। उनके महान योगदान के कारण ही न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में उनकी जयंती मनाई जाती है। वो कहा करते थे कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान होता है और यह उन्होंने साबित करके दिखाया। व्यक्ति वही महान हो सकता है जो शिक्षित हो और दृढ संकल्प के साथ अनवरत कार्य करे तभी समाज सुधारक बन सकता है। बाबा साहेब ने कई विषयों में उच्च डिग्रियां हासिल की और भारत के अर्थशास्त्र विषय के पहले पीएचडी थे, टॉपिक था ‘प्रोब्लेम्स ऑफ मनी’। उनका एक ही लक्ष्य था कि जाति, समाज और इतिहास के लिए कुछ ऐसा करके जाएं जिसे पीढियां याद रखें। भारतीय समाज बिना किसी भेदभाव के समानता और एकता की नींव पर खडा हो। उत्तम उद्देश्य के लिए उत्तम प्रयास की आवश्यकता होती है। संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में सविधान निर्माण में उनकी महती भूमिका रही है।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जो व्यक्ति को फर्श से अर्श तक पहुंचा सकता है। विषम परिस्थितियों में रहकर संसाधनों के अभाव में भी संघर्षों से निकल कर व्यक्ति कैसे अपना मुकाम हासिल कर सकता है, यह बात बाबा साहेब के जीवन से सीखी जा सकती है, उनका व्यक्तित्व छात्रों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने संविधान ने आर्टिकल 14 के तहत बिना किसी भेदभाव के सभी को समानता का अधिकार दिलाया। वो कहा करते थे कि किसी देश की प्रगति को देखना है तो वहां की महिलाओं की प्रगति को देखिए।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य पीएस चौहान ने कहा कि शिक्षा से ही समाज और राष्ट्र की उन्नति होती है, छात्रों का पहला लक्ष्य मन लगाकर शिक्षा हासिल करना है। डॉ. अंबेडकर ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उच्च शिक्षा प्राप्त की। उस समय समाज में व्याप्त कुरीतियों और छुआछूत का सामना किया और विरोध करते हुए दलित समाज को समानता का अधिकार दिलाने की लडाई में उनका अहम योगदान रहा। अंबेडकर का नारा था ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो। शिक्षा के द्वारा ही समाज में परिवर्तन संभव है।’
सभी का आभार ज्ञापित करते हुए डॉ. धीरज सिंह गुर्जर ने कहा कि भारत का यह महान संविधान डॉ. अंबेडकर की ही देन है। उन्होंने महिलाओं और दलित वर्ग को ऊपर उठाने में, समानता का अधिकार दिलाने में बहुमूल्य योगदान दिया। कार्यक्रम के दौरान संविधान की प्रस्तावना का वाचन भी किया गया। इस दौरान शिक्षक धीरज त्रिपाठी सहित अंशिका मिश्र, ऋतिक नरवरिया, विष्णु भदौरिया, राहुल, सरस्वती, लक्ष्मी, देवकी, कृष्णा, शिवानी, अंशुल, अमन, अनिकेत, दीपांशी त्रिपाठी, दिनेश आदि उपस्थित रहे।