– राकेश अचल
दुनिया की सबसे बडी पार्टी के कार्यकर्ता प्रयागराज में मसूद गाजी से तो लड सकते हैं, लेकिन महंगाई से लडना उनके बूते की बात नहीं है। देश में मोदी जी के राज में महंगाई बिना पदचाप के बढ रही है, लेकिन एक देवतुल्य कार्यकार्ता ऐसा नहीं है जो अपना भगवा ध्वज लेकर इस मंहगाई पर चढाई कर दे। प्रयागराज में भगवा लेकर मसूद गाजी की दरगाह पर चढने वाले लगता है कागजी शेर हैं।
केन्द्र की सरकार देश में अलग-अलग मुद्दों पर एक साथ काम कर रही है। एक तरफ सरकार देश के मुसलमानों से लड रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस से। तीसरी तरफ ममता बनर्जी से, तो चौथी तरफ स्टालिन से, लेकिन महंगाई से लडने की कूबत केन्द्र सरकार में नहीं है। उल्टे सरकार ने बीती रात अचानक बिना कोई वजह बताए रसोई गैस के सिलेण्डर पर 50 रुपए और पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर दो रुपए का उत्पादन शुल्क बढा दिया। सरकार का दावा है कि इससे पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम नहीं बढेंगे। सवाल ये है कि यदि खुदरा दाम नहीं बढेंगे तो ये बढा हुआ उत्पादन शुल्क आखिर सरकार किस्से वसूल करेगी?
मैंने देश में अनेक दलों की सरकारें और अनेक दलों को विपक्ष में बैठे देखा है, लेकिन ये पहली ऐसी सरकार है जो सीना ठोंककर महंगाई को बढा रही है और कह रही है कि इससे कुछ नहीं होगा। ये उसी पार्टी की सरकार है जो अतीत में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम बढाए जाने पर न सिर्फ जार-जार रोती थी, बल्कि सडक से संसद तक खाली सिलेण्डर लेकर, बैल गाडियों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया करती थी। लेकिन पिछले एक दशक ने इस सरकार ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ ही जनता की प्रतिकार की क्षमता को छीन लिया है। समूचे विपक्ष को कुंद बना दिया है। अब न सत्ता पक्ष के लिए मंहगाई मुद्दा है और न विपक्ष के लिए। जनता के लिए भी मंहगाई मुद्दा नहीं, एक मजबूरी बन चुकी है, इसलिए उसे अब सडकों पर उतरने में लज्जा आती है। ऐसी संकोची जनता का अभिनंदन किया जाना चाहिए।
प्रयागराज के सिकंदरा में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह है। मैंने ये दरगाह देखी है। सिकंदरा स्थित इस दरगाह में पांच मजारें हैं, जहां पर दोनों धर्मों के लोग जाते हैं, यहीं पर महाराजा सुहेल देव सुरक्षा सम्मान मंच के कार्यकर्ताओं ने रामनवमी के दिन भगवा झण्डा फहरा दिया और पुलिस देखती रह गई। उत्तर प्रदेश की पुलिस ऐसे तमाशों को देखने के लिए ही बनी है। जाहिर है कि दरगाह पर भगवा ध्वजारोहण से तनाव पैदा हुआ, लेकिन पुलिस का कहना है कि स्थिति शांतिपूर्ण है। प्रयागराज में गंगानगर के डीसीपी कुलदीप सिंह गुनावत ने बताया, यहां कुछ युवकों ने धार्मिक झण्डा लहराकर नारेबाजी की। इनको मौके पर मौजूद पुलिस ने रोका, इस घटना की जांच की जा रही है। इस मामले में महाराजा सुहेल देव सम्मान सुरक्षा मंच के अध्यक्ष मनेन्द्र प्रताप सिंह को हिरासत में लिया गया है।
लेकिन हैरानी होती है कि गाजी मसूद की दरगाह हो या औरंगजेब का मकबरा को लेकर परेशान देशवासी एक बार भी पेट्रोल और डीजल के साथ ही रसोई गैस की कीमतें बढाए जाने से परेशान नहीं होते। उन्हें अपनी ही सरकार पर गुस्सा नहीं आता। आये भी कैसे? सरकार ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथों में भगवा थमाकर उन्हें दूसरे कामों में लगा दिया है। बेचारे हिन्दू, बहुसंख्यक हिन्दू कार्यकर्ता भूल गए हैं कि सरकार उन्हें मूर्ख बना रही है। उनसे बंगाल में ममता बनर्जी की सत्ता उखाडने के लिए उन्हें भालू और वानर सेना में भर्ती करा दिया गया है। उन्हें स्टालिन को उखाडने की जिम्मेदारी दी गई है। मंहगाई सरकार के लिए कोई मुद्दा है ही नहीं।
हम हिन्दुओं से भले तो अमेरिका के ईसाई हैं जो अपनी सरकार के गलत फैसलों के खिलाफ सडकों पर हैं। उनके हाथों में सलीब नहीं है। वे अपने नेताओं की तस्वीरों पर जूते-चप्पल चला रहे हैं, उनके ऊपर ईसाइयत को बचाने की नहीं बल्कि देश को मंहगाई और मंदी से बचाने की जिम्मेदारी है। अमेरिका की जनता किसी पोंगापंथ का शिकार नहीं है, हालांकि अमेरिका में भी वो सब हुआ जो हमारे प्यारे हिन्दुस्तान में हो रहा है। अमेरिका की जनता को ‘अमेरिका फस्र्ट’ का नारा दिया गया था, लेकिन किया गया उल्टा। टैरिफ बढकर अमेरिका की सरकार ने आधी से ज्यादा दुनिया को अपना दुश्मन बना लिया। अमेरिका के शेयर बाजार औंधे पडे हैं। बेरोजगारी अचानक बढ गई है। धडाधड छंटनी हो रही है। किन्तु इस सबका विरोध भी हो रहा है। सरकार पर दबाब बनाया जा रहा है।
मंहगाई ने देश की उन करोडों लाडली बहनों को संकट में डाल दिया है जो बामुश्किल अपनी रसोई की आग जिंदा रखे हुए थीं। अब आम महिलाओं के साथ ही उन महिलाओं को भी रसोई गैस की बढी कीमत देना पडेगी जिन्हें उज्ज्वला योजना के तहत रियायती सिलेण्डर मिलता था। बाजार में इस्तेमाल के लिए जाने वाला सिलेण्डर तो लगातार मंहगा होता ही जा रहा है। उसका बोझ भी परोक्ष रूप से आपके ऊपर ही पडता है। आप जिस खोमचे से समोसा 10 रुपया देकर खाते थे अब उसकी दाम बढते-बढते 20 रुपया हो चुके हैं। हमारे शहर ग्वालियर में तो समोसा 25 रुपए का बिक रहा है। डीजल के दाम बढे तो पहले से मुसीबत के मारे किसान की कमर टूटने वाली है। किसान की कमर टूटेगी तो क्या आम आदमी अपनी कमर बचा पाएगा?
हमारी सरकार इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा प्रणाली के इस्तेमाल से देश की सीमाओं की सुरक्षा करने का दावा तो करती है, लेकिन मंहगाई से जूझने का उसके पास कोई प्लान नहीं है। हमारी सरकार को फिक्र बिहार विधानसभा चुनाव जीतने की है। वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के बाद वक्फ की संपत्ति हडपने की है। सरकार के मुकाबले विपक्ष और खासकर कांग्रेस को चिंता गुजरात जीतने की है। भारत जोडो यात्रा करने वाली कांग्रेस महंगाई के मुद्दे पर सडकों से नदारद दिखाई दे रही है। कांग्रेस के पास भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं जैसा जोश है ही नहीं। इसलिए बैशाखियों की सरकार मनमानी पर आमादा है।
पेट्रोल और डीजल पर उत्पादन शुल्क बढकर कितना कमाएगी सरकार ये हमें नहीं बताया गया, लेकिन शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में सरकार ने ऑल इण्डिया तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला रॉय को बताया था कि सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क के रूप में 27.90 रुपए लीटर और डीजल पर प्रति लीटर 21.80 रुपए की आय होती है। अब सरकार अपनी आय तो बढा रही है लेकिन जनता की कमर तोडने पर आमादा है। सरकार का कहना है कि उसे जो आमदनी होगी वो तेल कंपनियों को मिलने वाले मार्जिन से होगी, आम आदमी पर इसका कोई असर नहीं पडेगा। लेकिन ये झूठ है। तेल कंपनियां अपने मार्जिन में से सरकार का खजाना क्यों भरने लगीं? वे तो जनता की जेब पर ही डाका डालेंगी।