चंबलांचल के विकास के लिए पृथक प्रदेश गठन मील का पत्थर साबित होगा : चौबे

सुख, शांति, विकास का संदेश लेकर चंबल कलश रथ यात्रा घर पर पहुंच रही है

भिण्ड, 02 अप्रैल। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चंथल प्रदेश गठन की मांग के संयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि चंबल नदी का उदय मालवा मप्र में हुआ है। मालया से चली चंबल नदी राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और किसान खुशहाल हुआ और चंबल अचंल में आकर चंबल नदी का अस्त हुआ यहां पर चंबल नदी का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जलसंगम है। क्वारी, चंबल यमुना, सिंध और पहुंज जलसगम पर पचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1983 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों-अरबों रुपए का बजट आता रहा है, लेकिन पंचनदा बांध परियोजना पर काम आज दिनांक तक शुरू नहीं हो पाया है।
चौबे ने बताया कि अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता है तो चंबल अचल में भूमि कटाव कम होता, जमीन का बाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता चंबल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूया रहता है। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। उन्होंने बताया कि चंबलांचल की समस्या और निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसम्बर 1999 से पृथक चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती अंतिम छोर पर 22 जिलों को मिलाकर जनता के बल पर पृथक्त चंबल प्रदेश गठन की मांग की गई है। उत्त रप्रदेश से आगरा, फिरोजाबाद मैनपुरी, इटावा, औरैया जालौन, झांसी और ललितपुर। ध्यप्रदेश से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और मिण्ड। राजस्थान से धौलपुर करोली, रामाई माधोपुर, कोटा, बारा झालावाड जिले शामिल है।
चौबे ने बताया कि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के प्रस्तावित 22 जिलों में यह चम्बल कलश रथयात्रा प्रवेश गठन होने तक जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि चंबलांचल के विकास के लिए पृथक प्रदेश गठन मील का पत्थर साबित होगा तथा सुख, शांति विकास का संदेश देने के लिए चम्बल कलश रथयात्रा घर-घर पहुंब रही है।