भिण्ड, 10 अक्टूबर। ग्राम जैतपुरामढ़ी में श्रीमद् भागवत सप्ताह के दौरान कथा व्यास देवी संध्या ने भगवान हनुमानजी की पूंछ की कथा का बखान करते हुए कहा कि भगवान को प्राप्त करने वाले अपने मन में जिस दिन कुछ चीजों का त्याग कर देंगे उसी दिन भगवान ठाकुर जी उसका जीवन संकटों से मुक्त कर उस भक्त का जीवन प्रसन्नता से भर देंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को कभी भी दान करते समय अपना नाम नहीं लेना चाहिए बल्कि भगवान के नाम से अर्पण कर देना चाहिए। मान, प्रतिष्ठा-इंसान को कभी भी अपनी धन दौलत सुंदरता उच्च पद का गुमान नहीं करना चाहिए। भगवान किस को कब कहां और किस रूप में मिल जाए यह कोई नहीं जानता, जैसे सबरी को राम मिले, कुबरा को भगवान कृष्ण मिले। हनुमान जी को संसार में सबसे बड़ा भक्त बनने का आशीर्वाद मिला।
देवी संध्या ने कहा कि भगवान प्रेम में वास करता है, भगवान की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को सदा प्रेम का साथ रखना चाहिए। प्रेम ही सर्वोपरि है, प्रेम ही भगवत गीता है, भगवत प्रेम की गाथा है, इसको समझने के लिए मन निर्मल और काया पवित्र होनी चाहिए, तब आप भगवान के दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि- हकीकत रूबरू हो तो अदा कारी नहीं चलती, खुदा के सामने बंदों की मक्कारी नहीं चलती, तुम्हारा दबदबा खाली तुम्हारी जिंदगी तक है, कब्र के अंदर किसी की जमीदारी नहीं चलती। इसीलिए कहा है हमेशा हमें अपनों के साथ सम्मान प्यार और स्नेह बना कर रहना चाहिए, जिससे मरने के बाद हमारी संतान हमारा वंंश समाज में सिर झुका कर नहीं, सिर उठा कर चल सके। कथा वाचक ने महिलाओं से कहा कि महिलाओं को अपने पति सास ससुर की बातों का अध्यन अवश्य करना चाहिए, अध्यन करने से चिंता खत्म और ग्लानि भाव कम होता है, इसलिए गृहस्थ जीवन चलाने के लिए महिलाओं को पुरुष की मान मर्यादा बनाकर रखकर ही हम ईश्वर को खुश रख सकते हैं और ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं।