क्या सचमुच हम राम राज की और बढ रहे हैं?

– राकेश अचल


देश बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, दुनिया आगे बढ रही है, लेकिन हम पीछे लौट रहे हैं। हम राम-राज की और बढ रहे हैं। भाजपा ये पुण्य कार्य कर रही है, कांग्रेस का अता-पता नहीं है। गोदी का मीडिया बता रहा है कि कैसे मोदी जी ने मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ में जातीय अंकगणित के हिसाब से मुख्यमंत्री बना कर आने वाले लोकसभा चुनाव में हिन्दी पट्टी से लोकसभा की 250 सीटें जीतने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है?
मोदी मैजिक से देश ही नहीं उनकी अपनी पार्टी के लोग हैरान हैं। मोदी जी ने पूरी पार्टी को अनुशासन की छडी से ऐसा नियंत्रित किया है कि अब कोई केशूभाई या उमा भारती बनने की हिम्मत नहीं कर पा रहा। मोदी जी ने राजनाथ से लेकर बसुंधरा राजे तक को नाथ लिया है, आप कह सकते हैं कि अनाथ कर दिया है। शिवराज तो जैसे अपनी जुबान ही कटा बैठे हैं। मोदी जिसके ऊपर हाथ रख रहे हैं वो रातों-रात मुख्यमंत्री बन रहा है और जिसके ऊपर कुपित हो जाएं, उसकी मिट्टी पलीत हो रही है। लेकिन देश रामराज की और आगे बढ रहा है। देश को रामराज की ओर ले जाने के लिए कुछ तो निर्मम होना ही पडता है।
एक जमाना था जब देश को उत्तर प्रदेश दिशा और नेतृत्व देता था। एक जमाना है कि देश को दिशा और नेतृत्व गुजरात दे रहा है। पूरा देश गुजरात का आभारी है। वैसे भी देश के ऊपर गुजरात के अनेक ऋण हैं। महात्मा गांधी और सरदार बल्लभभाई पटेल से लेकर अमित शाह तक गुजरात की मिट्टी से जन्मे हैं। गुजरात ने ही सबसे पहले रामराज की टेर लगाई थी। महात्मा गांधी राम-राम कहते हुए राम के धाम को चले गए, लेकिन देश में राम राज नहीं आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महात्मा गांधी के इस सपने को साकार कर रहे हैं। लोगों को सपने दिखने और अपने सपने साकार करने में मोदी जी का कोई जोड नहीं है।
मोदी जी और उनकी टीम को लोकसभा की 250 सीटों को साधने के लिए तीन राज्यों में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री तय करने में नौ दिन का समय लगा। मंथन में समय तो लगता ही है। भाजपा कोई कांग्रेस थोडे ही है जो आनन-फानन में सब कुछ कर ले और दूर की न सोचे। कांग्रेस में दूरदृष्टि तो केवल श्रीमती इन्दिरा गांधी के पास ही थी। बाद में कांग्रेस की दूरदृष्टि शायद धुंधला गई और इसलिए कांग्रेस अपने भविष्य पर छाई धुंध को छांट नहीं पा रही है। कांग्रेस के पुण्य-प्रताप ही हैं जो उसे जीवित बनाए हुए है, अन्यथा मोदी मैजिक में तो उसे समूल नष्ट हो जाना चाहिए था।
गोदी मीडिया के पंडित कहते हैं कि मोदी के जाती गणित ने न केवल मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ को बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार तक को साध लिया है। कांग्रेस में है इतनी कूबत? कांग्रेस मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ को नहीं साध पाई। कांग्रेस को शायद नहीं पता कि रहीम जी ने क्या कहा था? रहीम ने कहा था कि ‘एकहि साधे सब सधे, सब साधे सध जाये, रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥’ कांग्रेस अपनी मूल को शायद सींच नहीं पा रही, जबकि भाजपा ने अपनी मूल काटकर नई जडें विकसित कर ली हैं। इन जडों में न अटल बिहारी हैं और न लालकृष्ण आडवाणी। ये जडें मोदी और शाह की जडें हैं।
आपको बता दूं कि भाजपा 2024 के आमचुनाव में एक नया कीर्तिमान रचने के लिए लालायित ही नहीं है, बल्कि उसने इसकी तैयारी भी की है। वैसे भी भाजपा कीर्तिमान रचने में सिद्धहस्त है। भाजपा ने सरजू तट पर दिए जलाने के दो-दो कीर्तिमान पहले ही रच दिखाए हैं, भाजपा के अनुराग ठाकुर की मानें तो भाजपा अबकी संसद की 303 नहीं बल्कि पूरी 400 सीटें जीतेगी। राम राज की स्थापना के लिए कम से कम 400 सीटें तो लगेंगीं। 303 सीटों में तो केवल धारा 370 हट सकती थी, तीन तलाक कानून बन सकता था, नारी शक्ति वंदन कानून बनाया जा सकता था, रामलला के लिए मन्दिर निर्माण कराया जा सकता था, सो करा लिया गया है। कांग्रेस का ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है। कांग्रेस कभी लक्ष्य बनाकर काम करती ही नहीं है। कांग्रेस का लक्ष्य ‘अलक्ष्य’ है। कांग्रेस को पता है कि ‘हुईए वही जो राम रचि रखा’ तो कोई तर्क करके क्यों साखा बढाए?
भाजपा ने देश के राष्ट्रपति पद पर श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को पहुंचाकर आदिवासी बाहुल प्रदेशों में सत्ता हांसिल कर ली। अब छतीसगढ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा देशभर के आदिवासियों के वोट बटोरेगी। मप्र में यादव जी को मुख्यमंत्री बनाकर उसे यूपी और बिहार के वोट चाहिए। राजस्थान में पहली बार के विधायक भजनलाल पंडित जी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा पूरे देश के पंडितों के वोट हासिल करना चाहती है, और इसमें बुरा है भी क्या? ‘जिन खोजा तिन पाइया, घर पानी पैठ’। कांग्रेस में कोई मोदी जी की तरह कवायद करता ही नहीं है। कांग्रेस में हिम्मत है भाजपा की तरह जोखिम लेने की! राजस्थान जैसे सूबे में पहली बार के विधायक भजनलाल यदि न चले तो क्या होगा? लेकिन भाजपा ने जोखिम लिया है और उसे इसका फल मिलेगा। अंग्रेजी वाले कहते हैं न ‘नो रिस्क, नो गेन’। कांग्रेस जोखिम लेने से डरती है। एक डरी हुई पार्टी से देश क्या उम्मीद कर सकता है?
कांग्रेस अभी हार के गम से उबर नहीं पाई है और भाजपा ने राज्यसभा में केंचुआ में आयुक्त की नियुक्ति के लिए नया विधेयक को पारित भी करा लिया। इस विधेयक के जरिए केंचुआ को और बडा केंचुआ बनाने की योजना है। विपक्ष चीखता-चिल्लाता रह गया, लेकिन विधेयक पारित हो गया, ठीक उसी तरह जिस तरह से लोकसभा में महुआ मोइत्रा की सदस्य्ता रद्द किए जाने का प्रस्ताव पारित हो गया था। आज की स्थिति ये है कि समूचा विपक्ष सरकार के किसी काम को रोक नहीं सकता। संसद में उसकी ताकत सीमित है और सडक पर कांग्रेस को छोड कोई भी राजनीतिक दल संसद के मुद्दों को लेकर उतरने की स्थिति में है नहीं। इसलिए देश में राम राज तो आकर मानेगा। आप भी इसके लिए आरती सजाकर तैयार रहिए।