क्या मुसलमान उत्तर प्रदेश छोड देंगे?

– राकेश अचल


उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बडा प्रदेश है। 24 करोड आबादी वाले इस सूबे में कोई चार करोड मुसलमान हैं, लेकिन राज्य विधानसभा और लोकसभा में सत्तारूढ भाजपा की और से इस बडी आबादी का कोई नुमाइंदा नहीं है। दूसरे दलों से कुछ विधायक और सांसद जरूर है। उत्तर प्रदेश की आबादी के लिए सूबे की सरकार एक के बाद एक नई मुश्किलें खडी कर रही है। सरकार की कोशिश है कि मुसलमान या तो उत्तर प्रदेश छोड दें या फिर हिन्दू बन जाएं।
आप सोच रहे होंगे कि क्या बकवास है ये! ऐसे कैसे कोई मुसलमानों को उत्तर प्रदेश से बेदखल कर सकता है। बात तो सही है, कोई ऐसा चाहकर भी नहीं कर सकता है, लेकिन किसी को ऐसी कोशिश करने से तो आप या हम रोक नहीं सकते। यूपी सरकार ने चीन की तर्ज पर पूरे राज्य में मस्जिदों से लाउड स्पीकर उतरवाने की मुहीम छेड दी है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों पर लगे लाउड स्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों की चेकिंग का अभियान सोमवार को चलाया गया। एसपी, एएसपी और सभी सीओ की मौजूदगी में चले अभियान के तहत लाउड स्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों के मानकों को जांचा गया।
कहने को ये अभियान मन्दिर और मस्जिदों के लिए एक समान है, किन्तु इस आदेश का निशाना मस्जिदें ही हैं। यूपी सरकार का लाउड स्पीकर के खिलाफ ये एक्शन सुबह पांच से सात बजे तक चलता है और शाम को भी कुछ समय के लिए चेकिंग की जाती है। 23 नवंबर से ये अभियान शुरू हो गया है और 22 दिसंबर तक चलेगा। सरकार की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि अब तक प्रदेशभर में 61 हजार 399 लाउड स्पीकर को चेक किया गया, इनमें से 7288 लाउड स्पीकर की आवाज कम करवाकर मानक के अनुसार कराई गई। जबकि 3238 लाउड स्पीकर को हटवा दिया गया।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने इससे पहले मुसलमानों द्वारा उपभोक्ता सामग्री के लिए जारी किए जाने वाले हलाल प्रमाण-पत्र के खिलाफ अभियान चलाया। प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थान के खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज कराए और इस प्रमाणीकरण को प्रतिबंधित कर दिया। सूबे की सरकार कहने को सबकी सरकार है और सबका मिलकर विकास करती है, लेकिन हकीकत में सरकारी खजाने से बहुसंख्यकों की खुशी के लिए अयोध्या में 24 लाख दीपक जलाकर कीर्तिमान रचा जाता है। फिर काशी में देव दीपावली पर 12 लाख दीपक जलाने और लेजर शो करने की हिमाकत की जाती है। कोई संविधान, कोई कानून सरकार को इसके लिए नहीं रोकती। कोई राजनीतिक दल इसके खिलाफ खडा नहीं होता, क्योंकि मुद्दा वोट की राजनीति का है।
आपको ध्यान देना होगा कि भाजपा ने परोक्ष रूप से ही नहीं बल्कि खुलकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस कार्रवाई में साथ दिया है। भाजपा ने पांच राज्यों के चुनाव में योगी का पूरा इस्तेमाल किया। यानि यदि पूरे देश में भाजपा की सरकारें बन गईं तो हर सूबे में मुसलमानों की शामत आ सकती है। योगी राज में राजस्थान की तर्ज पर एक बस कंडक्टर का गला रेतने का जघन्य अपराध भी हो चुका है। ऐसे अपराध सरकार के लिए मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का जरिया बन जाते हैं। मुसलमानों को चिढाने के लिए मुजफ्फर नगर में एक शिक्षण संसथान ने जान-बूझकर छात्राओं से बुर्का पहनकर कैटवॉक कराया। इससे धार्मिक नेता भडके भी लेकिन समझदारों ने बात बिगडने से बचा ली।
यूपी में पिछले कुछ साल से ये ही हो रहा है। पहले भी राज्य में भाजपा की सरकारें रहीं। कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री रहे, किन्तु किसी ने योगी की तरह कट्टरता का मुजाहिरा नहीं किया। बहन मायावती और भाई अखलेश यादव के राज में भी ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के राज की बातें तो अब इतिहास हो चुकी हैं। भाजपा ने एक तरफ केन्द्र में मुसलमान का हितैषी बनते हुए तीन तलाक कानून बनवाया, दूसरी तरफ भाजपा उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को परेशान करने के लिए रोज नए बहाने भी खोज रही है। मुसलमानों के मदरसे तो बहुत पहले से भाजपा सरकार के निशाने पर यूपी में भी हैं और असम में भी।
यूपी के मुसलमान संख्या में इतने कम भी नहीं हैं कि उन्हें यूपी से खदेडा जा सके। योगी राज में मुसलमानों के नेता और मुसलमानों में से ही माफियागिरी करने वालों का हिसाब प्राथमिकता के आधार पर किया जा चुका है। कुछ पुलिस की गोली से मारे जा चुके हैं, कुछ को जेल भेजा चुका है। दूसरी तरफ हत्या के आरोपों में उम्रकैद सजा पा सके अमरमणि त्रिपाठी जैसे लोग सरकार की कृपा से बाहर भी आ गए हैं, समझ में नहीं आ रहा कि होने वाला क्या है। भाजपा सरकार ने राम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद जितनी दिलचस्पी राम मन्दिर बनाने में ली, उतनी मस्जिद परिसर के विकास में नहीं ली। लगता है कि राज्य में सरकार किसी एक धर्म और एक समुदाय की है, न कि सभी की। नया साल यूपी का नया चेहरा पेश करने वाला है।