दंदरौआ धाम परिसर में प्रवचन हो रहे हैं
भिण्ड, 31 जुलाई। सीता माता को भक्ति, शांति एवं शक्ति का स्वरूप माना गया हैं। भारत में मुख्य रूप से चार घाट वाले प्रवक्ता बैठे हुए हैं, जिन्होंने सीता माता का स्वरूप अलग-अलग रूप में माना है ज्ञान घाट वाले संतों ने सीता माता को शांति स्वरूप में माना है और प्रेम मार्ग घाट वाले संतों ने सीता माता को भक्ति का स्वरूप मानते हैं। यह उद्गार गृहस्त संत पं. रामेश्वर दयाल भारद्वाज ने दंदरौआ धाम परिसर में चल रहे प्रवचन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि कर्मयोगी घाट वाले संत सीता माता को शक्ति का स्वरूप मानते हैं और दीन घाट वाले संत सीता माता को मां का स्वरूप मानते हैं इसलिए सीता माता की खोज को भक्ति, शक्ति एवं शांति की खोज माना गया है।
महामण्डलेश्वर महंत रामदास महाराज ने कहा कि मनुष्य का जीवन बिना सत्संग के नहीं चल सकता हैं। सत्संग से हमें धर्म पर चलने की प्रेरणा मिलती है। पिता की आज्ञा का पालन करने से मनुष्य को धर्म की प्राप्ति होती है। माता की सेवा करने से मनुष्य को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर रामबरन पुजारी, जलज त्रिपाठी, नरसी दद्दा, प्राचार्य भोलाराम शर्मा, अम्बरीश आचार्य, संतोष शर्मा, पवन शर्मा, चिल्कू सहित अनेक श्रृद्धालु मौजूद रहे।