महावीर गंज चौराहे पर हुई मुनिश्री की विशाल धर्मसभा
भिण्ड, 06 दिसम्बर। व्यक्ति अपनी ही भूल व अज्ञानता के कारण विपरीत मार्ग पर चलकर भटकता रहता है, रास्ते ने कभी किसी को नहीं भटकाया। जीव का शत्रु कौन है? समाधान दिया गया कर्म है, जीव तेरा शत्रु कर्म नहीं है वास्तव में तू ही तेरा शत्रु बना हुआ है। कर्म तो निमित्त मात्र है, उन कर्मों को पैदा करने वाला भी तो यही जीव है। एक बात बताओ कि ऐसा कौन सा रास्ता है जो तुझे भटकाता हो। भाई रास्ता कभी किसी को नहीं भटकाता। यह उद्गार आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज ने शहर के महावीर गंज चौराहे पर विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए।
आचार्यश्री ने कहा कि आज भक्त भगवान के पास आराधना करने आता है और अपने मन के अनुकूल प्रतिफल चाहता है। कहता है- प्रभु आपकी भक्ति कब से करता आ रहा हूं, आज तक मेरा यह काम नहीं हुआ और ये व्यक्ति कल ही आया और आज इसका काम हो गया। भगवन् थोड़ी सी कृपा दृष्टि मेरे ऊपर भी कर दो, नहीं तो कल से आना बंद। आज व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान के दर पर आता है, यह भक्ति में अविवेक है। संसार के भोगों को भोगते हुए आज तक कोई भी जीव संतुष्ट नहीं हुआ है। अपितु जितना-जितना यह जीव भोगों की तरफ भागता है, उसकी इच्छाएं, तृष्णा, आसक्ति निरंतर बढ़ती जाती है। अग्नि में लकडिय़ां डालने से अग्नि कभी शांत नहीं होती, अपितु निरंतर बढ़ती जाती है। वैसे ही भोगों को भोगते रहने से कभी भी कोई प्राणी तृप्त नहीं होता। इस जगत में प्राणियों ने संसार-शरीर-भोगों की कथाएं तो अनेकों बार सुनी हैं, किंतु केवल एकमात्र अपने निज भगवान आत्मा की कथा आज तक नहीं सुनी। यही कारण है कि यह प्राणी निरंतर विषय भोगों की ओर भागता रहता है। सदगुरू हमारे बीच आते हैं तो वे हमें स्वयं से परिचय कराते हैं और भगवान बनने की राह हमें दिखाते हैं, इसलिए गुरू का स्थाीन भगवान से भी पहले रखा गया है।
दीक्षा भूमि पर मनाया जाएगा दीक्षा का रजत विमर्श संयमोत्सव
‘जीवन है पानी की बूंद’ महाकाव्यम के मूल रचियता आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महाराज की दीक्षा स्थली यह भिण्डी नगरी है। आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महाराज का 25वां मुनि दीक्षा दिवस भिण्ड नगर के श्री महावीर कीर्तिस्तंभ परिसर में 12, 13, 14 दिसंवर तक संपन्न होगा।
11 को होगी महारैली, पांच सैंकड़ा बाइकें होंगी शामिल
रजत संयमोत्सव पर्व का आगाज पर 11 दिसंवर को 500 से अधिक बाईकों के साथ प्रशासन की निगरानी में अनुशासित ढंग से किला गेट से प्रांरभ होकर संपूर्ण नगर में भ्रमण करते हुए कीर्तिस्तंभ परिसर पहुंचेगी। 12 दिसंवर को आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज का 13वां आचार्य पदारोहण मनाया जाएगा। 13 दिसवंर को श्री 1008 शांतिमय दिव्यार्चना होगी। कीर्तिस्तंंभ परिसर में हजारों की संख्या में एक साथ बैठकर श्रृद्धालु 1008 श्री शांतिनाथ भगवान की महार्चना करेंगे। अपने-अपने घर से श्रृद्धालुगण एक-एक मंगल कलश लेकर पहुंचेंगे। सानिध्यक श्री 108 विमर्श सागर महाराज का रहेगा। मंत्रों की गूंज से गूंजेगा भिण्ड शहर। भक्तों के घर-परिवार और जीवन में सुख-समृद्धि होगी।







