मिहोना, 13 नवम्बर। श्रीश्री 1008 परमहंस श्री परशुराम महाराज की तपोभूमि ग्राम मेहदवा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामेश्वर दास महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जहां भगवान की भक्ति होती है वहीं तीरथ धाम होता है। संत संगत से भक्ति का जन्म होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कहा कि मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जगम तीरथ राजू।। राम भक्त मणिपुर बस जाके। दुख लवलेश न सपनेहुं ताके।।

महाराज जी ने कहा कि कलियुग में केवल राम का नाम ही सत्य है। राम नाम के उच्चारण मात्र से मनुष्य भव सागर पार हो जाता है, हम सभी को राम नाम का जप जरूर करना चाहिए। क्योंकि रामचरितमानस में लिखा है कि कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।। बाल्मीकि जी रामजी का उल्टा नाम लेकर ब्रह्म के समान हो गए। कहा भी गया है कि उल्टा नाम जपत जग जाना। बाल्मीकि में ब्रह्म समाना।। महाराज जी के मुखारबिंदु से कपिल अवतार, प्रहलाद चरित्र, ध्रुव चरित्र आदि कथाएं बड़े ही सुन्दर ढंग से वर्णित की गईं। भागवत कथा श्रवण कर समस्त श्रोतागण भावविभोर हो गए।
कथा का आयोजन राजावत परिवार मेहदवा द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर कथा पारीक्षत श्रीमती शांतिदेवी स्व. जबर सिंह राजावत उर्फ भूता बाबा को बनाया गया है। शाम के समय भजन कीर्तन एवं संत भण्डारे का आयोजन किया जाता है। कथा के दौरान 17 नवंबर को विराट आध्यात्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।







