प्रेम और भाईचारे के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए : रामदास महाराज

दंदरौआ धाम में दिव्य श्रीराम कथा का हुआ समापन

भिण्ड, 26 जुलाई। जिले के धार्मिक स्थल दंदरौआ धाम परिसर में धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास महाराज के सानिध्य में चल रही दिव्य श्रीराम कथा का मंगलवार को समापन हो गया। कथा पारीक्षत अमरेश शर्मा-श्रीमती भूरीदेवी थे।
इस अवसर पर बिल्हौर कानपुर के कथा वाचक भागवताचार्य पं. रामबाबू द्विवेदी मयंक महाराज ने कहा कि इस संसार में वही व्यक्ति धर्मरथ पर बैठ पाता है जो व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलता है। धर्म रथ के दो पहिए होते हैं, पहला पहिया शौर्य होता है और धर्मरथ का दूसरा पहिया धैर्य होता है। जो व्यक्ति शौर्य और धैर्य के साथ इन दोनों पहियों को लेकर चलते वही व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलने के अधिकारी हैं।
कथा के समापन अवसर पर श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत रामदास जी महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा भगवान श्रीराम के चरित्र पर आधारित है। यह हमें अन्याय के प्रति विरोध करना और मर्यादा में रहकर आदर्श जीवन जीना सिखाती है। हमें भगवान श्रीराम के चरित्र का अनुशरण करते हुए प्रेम और भाईचारे के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए। अंत में उन्होंने हनुमान जी की शोभा बड़ी प्यारी लागे, दंदरौआ की झांकी न्यारी न्यारी लागे भजन गाया। इस मौके पर रामबरन पुजारी, राम निहोर जोशी, जलज त्रिपाठी, सतीश व्यास, नरसी दद्दा सहित अनेक धर्मप्रेमी बंधु मौजूद रहे।