– राकेश अचल
हिन्दी का नया साल चैत्र मास से शुरू होता है। मेरे लिए ये महीना बहुत महत्वपूर्ण है। मेरी दादी बताया करती थीं कि मैं चैत्र मास में ही अवतरित हुआ था। इसी महीने में चेतुओं की किस्मत चेतती है। दादी निरक्षर थीं लेकिन पंचांग के बारे में उन्हें पता नहीं कहां से पता चल जाता था। वे बताती थीं कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व का शुभारंभ भी होता है। इस बार चैत्र मास 30 मार्च 2025 यानी आज से शुरू हुआ तो दादी की बहुत याद आईं। वे पक्की सनातनी थीं किन्तु मैंने उन्हें कभी व्रत-उपवास करते नहीं देखा, जबकि ठीक उनके विपरीत मेरी मां को तीज-त्यौहार, व्रत, उपवास में गहरी दिलचस्पी थी। उनकी देखा-देखी मैंने भी अनेक बार चैत्र मास में 9 दिन के न सिर्फ व्रत किए बल्कि दो मर्तबा गवालियर से करौली तक 208 किमी की लम्बी और कठिन पदयात्रा भी की।
आज का पंचांग बता रहा है कि इस तिथि पर रेवती नक्षत्र और ऐन्द्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। इसके अलावा यह दिन हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2082 के रूप में आया है, जिसमें सूर्य और चंद्र देव दोनों मीन राशि में मौजूद हैं। आज के ही दिन देश-दुनिया में ईद का त्यौहार भी मनाया जा रहा है, लेकिन भारत में तमाम पाबंदियों के साथ। कहते हैं न कि जसकी लाठी, उसकी भैंस। आज लाठी हमारे हाथ में हैं। इसलिए भैंस भी हमारी है। हमारी भैंस के आगे बीन बजाने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि वो ससुरी खडी-खडी पगुराती रहती है। बीन की धुन पर नाचना उसे आता ही नहीं है। उसे न मणिपुर कि जलने से कोई फर्क पडता है और न कुणाल कामरा काण्ड से।
आप कहेंगे कि नया साल और नए साल का पहला दिन में ये भैंस कहां से आ गई। तो आपको बता दें कि भैंस से हमारा सनातन नाता है, ये बात अलग है कि हम किसी भैंस को अपनी माता नहीं कहते, जबकि भैंस, गौमाता से ज्यादा दूध देती है, ज्यादा गोबर देती है और ज्यादा मांसाहार भी देती है। दुर्भाग्य ये है कि हमारे यहां भैंस पुत्र केवल बलि के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। किसी जमाने में भैंसे पंचायतों, नगर निगमों में कचरा गाडी खींचने के काम भी आते थे किन्तु अब तो बेचारे सिर्फ कटते हैं और लोगों के पेट भरने के काम आते हैं। भैंसों के नाम परदुनिया के किसी देश में कोई राजनीती नहीं होती। कम से कम हमारे देश में तो नहीं होती। हमारे यहां गायों के नाम पर राजनीति भी होती है और लिंचिंग भी। दुर्भाग्य ये है कि भारत में अभी तक किसी ने भैंसशाला नहीं खोली इसीलिए भैंसे अक्सर सडक पर आवारगी करते देखी जा सकती हैं।
मैं कट्टर सनातनी हूं, फिर भी इन ज्योतिषियों की वजह से हमेशा परेशान रहते हैं। ये हर त्यौहार को सुलभ के बजाय दुर्लभ बताकर ऐसा उन्माद पैदा करते हैं कि आधा देश महाकुम्भ में नहाने जा धमकता है, दीवाली पर ऐसा पुष्य योग बताते हैं कि आधा देश भले कटोरा लिए खडा रहे लेकिन बांकी देश सर्राफा बाजार या मोटरकार बाजार में खडा नजर आता है। ज्योतिषी इस बार भी नहीं माने। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक लगभग 100 वर्षों बाद नवरात्रि के प्रथम दिन पंचग्रही योग का निर्माण भी हो रहा है। इसके साथ ही पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि, इन्द्र, बुद्धदित्य, शुक्रदित्य, लक्ष्मी नारायण जैसे शुभ योग का निर्माण हो रहा है। हमारा सौभाग्य है या दुर्भाग्य कि ये ज्योतिषी हमारे पास ही सबसे ज्यादा हैं। दूसरे मजहबों में भी हैं, लेकिन वे इतने शातिर नहीं हैं जितने कि हमारे हैं। हम पढ़े-लिखे हों या अनपढ़ सब के सब ज्योतिषियों के इशारों पर नाचते हैं।
कभी-कभी मै सोचता हूं कि हमारे पास भले ही वैज्ञानिक कम हों किन्तु ज्योतिषी इफरात में है। काश ऐसे ही ज्योतिषी म्यांमार वालों के पास होते। कम से कम वे ये तो बता देते कि वहां जो भूकमंप आया है वो किस दुर्लभ योग में आया है और उसके क्या लाभ-हानि है। किस राशि के जातकों के लिए भूकंप जानलेवा साबित होगा और कौन सा महफूज रहेगा? म्यांमार वालों के साथ हमारी गहन संवदना है। हमारी सनातनी सरकार ने म्यांमार के भूकंप पीडितों की इमदाद के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल जगनीत गिल के नेतृत्व में शत्रुजीत ब्रिगेड मेडिकल रिस्पॉन्डर्स की 118 सदस्यीय टीम आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और आपूर्ति के साथ शीघ्र ही म्यांमार के लिए रवाना हुई। यह टीम जरूरी चिकित्सा उपकरणों और आपूर्ति के साथ एयरबोर्न एंजल्स टास्क फोर्स के रूप में तैनात की जा रही है, ये फोर्स आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में उन्नत चिकित्सा और सर्जरी सेवाएं देने के लिए प्रशिक्षित है।
हम शुक्रगुजार हैं भारत सरकार की दरियादिली के, कि उसने कम से कम चैत्र मास में कोई तो पुण्य कार्य किया! अन्यथा मुमकिन था कि हमारे गृहमंत्री अड जाते कि नहीं! म्यांमार में राहत भेजने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां के रोहिंग्या मुसलमान भी इस राहत का फायदा उठाएंगे। हमारी सरकार को मुसलमानों से खासी चिढ है, फिर चाहे वे हिन्दुस्तानी हों या बांग्लादेशी या म्यांमारी। हमारे यहां मुसलमान ही हैं जो सडक पर नमाज नहीं पढ़ सकते, सडक तो छोडिए अपने घर की छत पर नमाज नहीं पढ़ सकते। मुसलमानों को छोड दूसरे मजहबों का कोई भी आदमी कुछ भी कर सकता है। उसके लिए कोई पाबंदी नहीं है।
इस नवरात्रि पर मैं भी 9 दिन के व्रत रख रहा हूं। मेरी देवी में भारी आशक्ति है। मेरी कामना है कि देवी मां भारत की पुण्य भूमि पर पैदा होने वाले हर हिंदुस्तानी का कल्याण करे। मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा भी, क्योंकि हमारी देवियां नेताओं की तरह हिन्दू-मुसलमान नहीं देखतीं कल्याण करते वक्त। हमने जितनी भी किम्वदंतियां या लोक कथाएं पढ़ी हैं उनमें किसी में भी किसी देवी ने किसी खान साहब का वध नहीं किया। उन्होंने महिषासुर को मारा। मुसलमानों में भी शैतान के बच्चे पैदा होते हैं जो आतंकवादी हो जाते हैं लेकिन उनका नाश करने के लिए देवियों ने दूसरी व्यवस्था की है। हिन्दुओं में भी शैतान होते हैं, वे भी आदमी तो आदमी इमारतों और कब्रों तक को जमीदोज कर देते हैं, लेकिन उनका इलाज हमारी देवियों के पास नहीं है।
चूंकि हमारे सनातनियों को अब विक्रम सम्वत में आस्था है, इसलिए उन्हें इस नववर्ष की बधाइयां, चूंकि आज ही ईद है इसलिए मुसलमानों को ईद मुबारक और म्यांमार के भूकंप पीडितों को अपनी हार्दिक संवेदनाएं देते हुए मैं अपने आपको खुशनसीब समझता हूं, क्योंकि आज से 9 दिन तक मुझे शक्ति की आराधना की छूट है। मैं कमरे में, घर की छत पर या सडक पर, कहीं भी आराधना कर सकता हूं। तमाम पाबंदियां तो विधर्मीयों के लिए हैं। वे भारतीय होकर भी हमारे लिए प्रवासी हैं।