– राकेश अचल
मेरे तमाम पाठक मश्विरा देते हैं कि मुझे अब भाजपा और मोदी जी को बख्श देना चाहिए, क्योंकि ये दोनों मुझे बीमार कर सकते हैं। ऐसे मित्रों को मैं अक्सर कहता हूं कि भाजपा और मोदी जी ने मेरी भैंस नहीं खोली, इसलिए उनसे मेरी कोई अदावत नहीं है। मैं इन दोनों के खिलाफ नहीं, बल्कि सत्ता प्रतिष्ठान को केन्द्र में रखकर लिखता हूं। कल यहां कोई और होगा, आज यहां भाजपा और मोदी जी हैं। आज भी मैं भाजपा और मोदी जी को मश्विरा देने जा रहा हूं कि देश सेवा करना है तो अब मुंह में राम और बगल में छुरियां रखना बंद कर देना चाहिए।
मैं न मुसलमान हूं और न रोजा रखता हूं, लेकिन मैं भाजपा के इस ऐलान से खुश हुआ था कि आने वाली ईद को मुल्क के 32 लाख मुसलमानों को, गरीब मुसलमानों को सौगात-ए-मोदी बांटी जाएगी, लेकिन मेरी खुशी केवल एक दिन टिकी और उस समय काफूर हो गई जब भाजपा शासित अनेक राज्य सरकारों ने मुसलमानों की खुशियां छीनने वाले फैसले कर डाले। अब या तो राज्य सरकारें मोदी जी को नीचा दिखाना चाहती हैं या फिर मोदी जी के इशारे पर ही मुसलमानों को दुखी करने वाले फैसले कर रही हैं।
खबर हरियाणा से आई है कि हरियाणा सरकार ने मुसलमानों को ईद पर मिलने वाली सरकारी छुट्टी रद्द कर दी है। तर्क ये है कि ईद की छुट्टी को गजेटेड हॉलीडे के बजाय रेस्ट्रिक्टेड हॉलीडे किया गया है। सरकारी अधिसूचना के मुताबिक सप्ताहांत होने के चलते शनिवार और रविवार (29 और 30 मार्च) को छुट्टी होगी। इसी बीच 31 मार्च (सोमवार) को फाइनेंशियल ईयर का कलोजिंग डे है। इसलिए सरकारी की ओर से यह फैसला लिया गया है। भारतीय रिजर्ब बैंक ये कदम उठती है तो समझ आता है, उसने ये कदम उठाया भी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने सभी बैंक को 31 मार्च को काम करने और सभी सरकारी लेन-देन पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यानी ईद की छुट्टी सस्पेंड कर दी गई है और सभी बैंकिंग सुविधाएं जारी रहेंगी, लेकिन हरियाणा को छोड किसी और सूबे ने ये अक्लमंदी नहीं दिखाई।
मोदी जी कितने उदार हैं, लेकिन उनकी पार्टी की सरकारें उतनी ही कठोर हो रही हैं। मोदी जी के चिर प्रतिद्वंदी माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार और नौकरशाही हरियाणा से भी आगे निकल गई। मेरठ में पुलिस प्रशासन ने ईद की नमाज को लेकर सख्त आदेश जारी करते हुए सडकों पर नमाज पढऩे पर रोक लगा दी है। इस आदेश पर अब प्रदेश में सियासत हो रही है। एनडीए की सहयोगी और केन्द्र सरकार में मंत्री जयंत चौधरी ने मेरठ पुलिस के इस फैसले का विरोध किया है और उसकी तुलना ऑरवेलियन 1984 की पुलिसिंग से की है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ये पोस्ट किया है। संभल में पीस कमेटी की बैठक बुलाकर सबको नसीहत दी गई है कि कोई मस्जिद के अलावा कहीं नमाज पढ़ता हुआ दिखाई दिया, तो सख्त एक्शन होगा।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी एक कदम आगे 27 साल बाद दिल्ली में आई भाजपा की सरकार नवरात्रि पर दिल्ली में मांस की दुकानें बंद करने पर आमादा है। दिल्ली में मीट और मछली की बिक्री को लेकर सरकार ने बडा फैसला किया है। दिल्ली में गैरकानूनी रूप से मीट, मछली बेचने पर रोक लगाई गई है। दिल्ली सरकार में मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इस संबंध में प्रवेश वर्मा ने कहा कि राजधानी में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह गैरकानूनी मीट, मछली बेचने वाली यूनिट को खत्म करें। मंत्री प्रवेश वर्मा ने साफ कहा कि कोई भी व्यक्ति गैर-कानूनी रूप से मीट और मछली नहीं बेचना चाहिए। अब इस फैसले से कौन खुश होगा और कौन नहीं ये सब बताने की जरूरत नहीं है। यानि इस बार भले ही मोदी जी की तरफ से गरीब मुसलमानों को सौगात बांटने का ऐलान किया गया हो किन्तु भाजपा शासित सरकारों ने तमाम तरह की पाबंदियां लगाकर ईद का मजा तो पहले से ही किरकिरा कर दिया है।
इस मुल्क में सडक पर कांवड यात्राएं वर्षों से निकल रही हैं। धार्मिक जुलूस निकाले जाते हैं। हर धर्म के लोग जुलूस निकलते हैं, लेकिन परेशानी अलविदा की नमाज से है। अलविदा की नमाज से कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब होती है। अरे मिया! सडक पर नमाज कोई पूरे दिन तो नहीं होती! कुछ देर के लिए उसी तरह ट्रेफिक को मोडा जा सकता है जिस तरह मंत्रियों की सभाओं के लिए मोडा जाता है, लेकिन ये कसरत कौन करे? क्यों करे? मुसलमान इस मुल्क के नागरिक थोडे ही हैं। सारी पाबंदियां उन्हीं के लिए हैं। बहुसंख्यक महाराष्ट्र के अहिल्यनगर में ख्वाजा चिश्ती की दरगाह पर बवाल काट सकते हैं, वहां भगवा फहरा सकते हैं। शायद यही गजबा-ए-हिन्द का जबाब भगवा-ए-हिन्द है और वो भी सरकार की तरफ से। गनीमत है कि ईद के चांद पर हमारी भाजपा सरकार का नियंत्रण नहीं है अन्यथा ये भी मुमकिन था की चांद को या तो निकलने ही नहीं दिया जाता या फिर उन मोहल्लों में चादरें तान दी जाती हैं जहां चांद देखना एक रिवायत है।