– राकेश अचल
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर रूस के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से भले सम्मानित किया हो, लेकिन से मोदी जी की चाल, चरित्र और चेहरे में कोई तबदीली नजर नहीं आ रही। उन्होंने अपने देश में जिस तरह से नागरिकों के साथ ही जन प्रतिनिधियों के खिलाफ अदावत की राजनीति का आगाज किया था वो आज भी बादस्तूर जारी है। आज भी उनकी प्रिय ईडी जन प्रतिनिधियों को जेल के भीतर भेजने के लिए सक्रिय है।
मोदी जी को मिले रूसी नागरिक सम्मान से भारत के नागरिकों को गौरवान्वित होना चाहिए। कम से कम उन्हें कुछ तो हासिल हो रहा है। भारत के नागरिकों में उनकी पैठ कम हुई है, लेकिन वे दुनिया के लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। मुश्किल ये है कि उन्हें अपने अलावा किसी और की लोकप्रियता नहीं पचती। कुछ लक्ष्मण रेखाएं हैं अन्यथा वे अपने तमाम प्रतिद्वंदी विदेशी नेताओं के खिलाफ भी ईडी और सीबीआई को लगा देते। कम से कम पाकिस्तान और चीन के नेताओं के पीछे तो लगाते ही। लेकिन अभी उनकी ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीछे लगी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को एकाधीनस्थ अदालत ने जमानत दी तो ईडी दौडती भागी ऊपर के न्यायालय में जा पहुंची और उसने केजरीवाल की जमानत रद्द कराकर ही दम लिया। आखिर केजरीवाल बिना मोदी जी की इजाजत के या उनके सामने समर्पण किए बिना कैसे राजनीति कर सकते हैं? केजरीवाल की न सिर्फ जमानत रद्द हुई बल्कि उनके पीछे सीबीआई ने भी एक अन्य मामला दर्ज कर उनका प्रोडक्शन वारंट हासिल कर उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल बाल-बाल नहीं बच पाए। अब ये केजरीवाल पर है कि वे मोदी जी की बैशाखी सरकार से लडते हैं या उनके सामने आत्मसमर्पण करते हैं।
अदावत की राजनीति का दूसरा शिकार झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन है। हेमंत भी हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हुए और उन्होंने जैसे ही दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उनके खिलाफ ईडी भी बडी अदालत में जा धमकी, उनकी जमानत रद्द करने के लिए। मोदी जी की मर्जी के बिना हेमंत भी मुख्यमंत्री नहीं रह सकते। मोदी जी और उनकी सरकार चाहती है कि हेमंत को अगर राजनीति करना है तो वे समर्पण करें, अन्यथा नेता जेल जाएं। मोदी जी देश में एकछत्र राज करना चाहते हैं, हालांकि देश की जनता ने हाल के जनादेश में उन्हें ऐसा करने के लायक नहीं समझा।
मोदी जी की अदावत की राजनीति कम होने के बजाय बढती जा रही है, ये सचमुच चिंता का विषय है। मुझे लगता था कि मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ बदल जाएंगे, लेकिन मैं गलत सोचता था। वे बिल्कुल नहीं बदले। उन्हें जनता से डर नहीं लगता, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें अगली बार जनता की अदालत में पेश होना ही नहीं है, ये उनकी अंतिम पारी है। इसमें वे जो करना चाहें कर लें, क्योंकि फिर ये मौका मिलने वाला नहीं है। मोदी जी भारत की राजनीति में अदावत की राजनीति के संस्थापक ही नहीं बल्कि झण्डा वरदार भी हैं। इसके लिए भी उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलना चाहिए। वैसे अदावत की राजनीति की असली जनक तो तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाधी थीं, लेकिन मोदी जी ने उन्हें भी पीछे छोड दिया।
दुनिया में मोदी जी अकेले ऐसे भारतीय नेता हैं जिन्हें एक दिन की जेल यात्रा किए बिना दुनिया सम्मानित कर रही है। उन्हें मिलने वाले सम्मानों से उनकी पुरानी कमीजों की आस्तीनों पर लगे गुजरात दंगों के लहू के दाग धुल रहे हैं। वे बार-बार हारकर भी जीत रहे है। मोदी जी पहले ऐसे भारतीय नेता भी हैं जो अपने देश में जलते मणिपुर नहीं गए, लेकिन उन्हें यूक्रेन युद्ध को लेकर मध्यस्थ की कथित भूमिका निभाने के लिए रूस सम्मानित कर रहा है। संस्कृत में एक कहावत है ‘अहो रूपम, अहो ध्वनि’। रूस के राष्ट्रपति और मोदी जी पर ये कहावत खूब फबती है। पुतिन जिस तरह से दो दशक से देश की सत्ता पर काबिज हैं, मोदी जी उसी का अनुशरण कर रहे हैं। वे पुतिन का सत्ता में रहने का कीर्तिमान भंग करना चाहते हैं। वे ऐसा कर भी सकते हैं, बशर्ते कि उनसे रूठे राम उनकी मदद करें।
रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ हमारे ‘भारत रत्न’ सम्मान से कम नहीं है। मोदी को दिया गया ‘ऑर्डर ऑफ द सेंट एंड्रयू एपोस्टल’ अवार्ड बहुत ही खास है। रूसी सरकार के अनुसार, ‘ऑर्डर ऑफ द सेंट एंड्रयू एपोस्टल’ अवार्ड को दिए जाने की शुरुआत 17वीं शताब्दी में जार पीटर द ग्रेट ने 1699 को आस-पास की थी। पीटर द ग्रेट को रूस का संरक्षक संत माना जाता है। इस तरह ये अवार्ड 325 साल पुराना है। यह रूस का सबसे पुराना और सबसे सर्वोच्च राजकीय सम्मान है। ऑर्डर के प्रतीक चिन्ह में आमतौर पर एक नीला सैश, सेंट एंड्रयू का क्रॉस वाला एक बैज और छाती पर पहना जाने वाला एक सितारा शामिल होता है। हमारा भारत रत्न सम्मान तो ले-देकर अभी 70 साल ही पुराना हुआ है।
मोदी जी को देश की जनता ने इस बार भले ही 400 पार नहीं करने दिया, लेकिन वे रूसी सम्मान हासिल कर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बराबर तो आ ही गए। उन्हें भी वो पुरस्कार मिल गया जो जिनपिंग के पास है। कहते हैं कि मोदी जी अब तक सात-सात शीर्ष वैश्विक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें साउथ कोरिया, सऊदी अरब, फिलिस्तीन और अफगानिस्तान जैसे देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान कर चुके है। इसलिए हमें भी उनका सम्मान करना ही चाहिए। हम उनका सम्मान करते भी हैं, किन्तु जब मोदी जी संसद में बहकते दिखाई देते हैं तब उनके वैश्विक नेता होने पर संदेह होने लगता है। बहरहाल मोदी जी को बहुत-बहुत बधाई और ये उम्मीद भी कि वे देश से अदावत की राजनीति का समापन कर अपने आपको एक दरियादिल नेता प्रमाणित कर सकेंगे।