– जमीन की बही के अलग-अलग खाते बनवाने की ऐवज में ली थी रिश्वत
सागर, 04 जुलाई। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) जिला सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने जमीन की बही के अलग-अलग खाते बनवाने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी कमलेश्वर दत्त मिश्रा को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 के अंतर्गत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं छ: हजार रुपए अर्थदण्ड तथा धारा-13(1)(डी), सपठित धारा 13(2) के अंतर्गत चार वर्ष सश्रम कारावास एवं छह हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि 15 फरवरी 2018 को आवेदक दुर्गाप्रसाद कुर्मी, निवासी ग्राम भरदी तहसील केसली ने अभियुक्त कमलेश्वर दत्त मिश्रा (मिश्रा बाबू) के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को संबोधित करते हुए एक लिखित शिकायत/ आवेदन इस आशय का दिया कि उसके दो भाई थे, जिनमें मंझले भाई जमना की मृत्यु हो चुकी है, उनका आपसी बंटवारा हो गया था, परंतु जमीन का बही खाता एक ही बना था जिसके तीन अलग-अलग खाते बनवाने हेतु तहसील केसली में पदस्थ अभियुक्त मिश्रा बाबू से मिला तो अभियुक्त ने उक्त कार्य कराने के ऐवज में छह हजार रुपए रिश्वत राशि की मांग की, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, विपुस्था लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्रवाई हेतु उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकार्ड करने हेतु निर्देशित किया, तत्पश्चात आवेदक द्वारा मांगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्रवाईयां की गईं एवं ट्रेप कार्रवाई आयोजित की गई। नियत दिनाक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर ट्रेप दल के सदस्य मौके पर पहुंचे और आवेदक से रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर आवेदक ने बताया कि उसने रिश्वत राशि छह हजार रुपए अभियुक्त को दी, जो अभियुक्त ने अपने पहने हुए फुल पेंट की बांई जेब में रख ली है, इसके बाद ट्रेप दल ने अभियुक्त को चारों ओर से घेर लिया। ट्रेप दल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत अभियुक्त से रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर उसने भी आवेदक से रिश्वत राशि छह हजार रुपए लेकर अपने पहने हुए फुल पेंट की बांई जेब में रख लेना बताया। तत्पश्चात अग्रिम कार्रवाई प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गऐ, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 एवं धारा 13(1)(डी), सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।