भिण्ड, 09 दिसम्बर। अभी विधानसभा चुनावों के बाद सरकार का गठन भी नहीं हुआ है कि प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ फिर से मजाक शुरू कर दिया गया है। यह भद्दा मजाक अभिभावकों की लूट के साथ-साथ युवाओं के जख्मों पर नमक छिडकने जैसा है।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि दिसंबर 2022 में सहकारी बैंकों के 1100 पदों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकली थी। जिसकी लिखित परीक्षा 23 से 25 मार्च 2023 में प्रदेश के पांच केन्द्रों पर करवाई गई। इस परीक्षा का आयोजन आईबीपीएस द्वारा करवाया गया, जो देश भर में बैंकों की भर्ती परीक्षा के लिए अधिकृत एजेंसी है। उन्होंने कहा है कि इस परीक्षा के लिए एक लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। जिनसे 500 रुपए फीस और 90 रुपए जीएसटी वसूली गई। इतना ही नहीं, यदि आवेदन के लिए दस्तावेज तैयार करने और फिर परीक्षा केन्द्र तक जाने की राशि को मिलाकर एक परीक्षार्थी का दो हजार रुपए भी खर्च हुआ हो, तो 20 करोड की चपत इन बेरोजगार युवकों के परिजनों को लगाई गई। परीक्षार्थियों को आशा थी कि उन्हें रोजगार मिल जाएगा।
जसविन्दर सिंह ने कहा है कि इस परीक्षा का परिणाम सात दिसंबर को आया है। अब चयनित परीक्षार्थियों को बैंक में नौकरी देने की बजाय सहकारी बैंक घाटे का बहाना बनाकर चयनितों को नौकरी देने से मना कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जब दिसंबर में भर्तियां निकाली गई थीं, तब घाटे वाली बात सामने क्यों नहीं आई थी? जाहिर सी बात है कि यह परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड करने की गहरी साजिश का हिस्सा है। माकपा ने सभी चयनित परीक्षार्थियों को नौकरी देने की मांग सहकारी बैंकों से की हैं।