आपराधिक प्रकरण मजबूत बनाने के ऐवज में ली थी रिश्वत
सागर, 01 दिसम्बर। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) जिला सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने आपराधिक प्रकरण मजबूत बनाने के ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी हाकिम सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 13(1)(डी)/13(2) के तहत चार वर्ष सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपए अर्थदण्ड तथा सहआरोपी अखिलेश निवारे को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 12 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि 27 दिसंबर 2017 को आवेदक हल्केभाई केवट ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को संबोधित एक हस्तलिखित शिकायती आवेदन इस आशय का दिया कि सात दिसंबर को उसके ममेरे भाई कैलाश ने उसके साथ विनोद चढार के विरुद्ध कुल्हाडी से मारने के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई थी, विवेचक अभियुक्त हाकिम सिंह द्वारा प्रकरण को मजबूत बनाने के एवज में 15 हजार रुपए रिश्वत राशि की मांग की जा रही है, वह रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि अभियुक्त को रंगे हाथों पकडवाना चाहता है। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकार्ड करने हेतु निर्देशित किया, तत्पश्चात आवेदक द्वारा मांग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्रवाईयां कर ट्रेप कार्रवाई आयोजित की गई। नियत दिनांक को अभियुक्त ने आवेदक को एक आरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बिठाकर फोरलाइन (एनएच26) की ओर रवाना कर दिया और दूसरी मोटर साइकिल से उनके पीछे गया, ट्रेपदल ने भी उनका पीछा किया। आवेदक व आरक्षक अखिलेश निवारे सिद्धी विनायक ढाबा के पास मोटर साइकिल रोक कर खडा हो गया, थोडी दूरी पर अभियुक्त हाकिम सिंह भी अपनी मोटर साइकिल रोक कर खडा हो गया, कुछ समय बाद आवेदक ने पूर्व निर्धारित इशारा किया तो अभियुक्त हाकिम सिंह ने आरक्षक अखिलेश निवारे को रवाना कर दिया, ट्रेपदल ने मौके पर पहुंचकर अभियुक्त हाकिम सिंह को घेरे में लिया, परिचय आदान-प्रदान के बाद अभियुक्त हाकिम ने पूछने पर बताया कि उसके कहनेे पर आवेदक ने रिश्वत राशि सहअभियुक्त आरक्षक अखिलेश को दी थी, जिसे उसने थाना सुरखी के लिए रवाना कर दिया, ट्रेपदल अभियुक्त हाकिम सिंह को लेकर थाना सुरखी आया, जहां अभियुक्त ने थाना परिसर के सामने चाय की दुकान पर खडे आरक्षक का अखिलेश निवारे होना बताया तब सहअभियुक्त अखिलेश निवारे को घेरे में लिया गया, परिचय आदान-प्रदान के बाद सहअभियुक्त अखिलेश ने अभियुक्त हाकिम के कहने पर रिश्वत राशि छह हजार रुपए लेकर अपने पर्स में रख लेना बताया। मौके पर लिखी-पढी की व्यवस्था न होने से अभियुक्तगण को पुलिस थाना सुरखी ले जाया गया, वहां अग्रिम कार्रवाई की गई। इस आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 12, 13(1)(डी), सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।