सागर, 30 नवम्बर। तृतीय अपरसत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के साथ छेडखानी एवं मारपीट करने वाले अभियुक्त राजुल सिंह भदौरिया को धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 354क में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 452 में तीन माह के सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 323 में तीन माह के सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा-3 (1)(डब्ल्यू)(आई), धारा 3(2)(व्ही-ए) में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता) ने 13 अगस्त 2021 को थाना छानबीला में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि 11 अगस्त को शाम करीब छह बजे उसकी भाभी को बुखार चढा था, तो मां के कहने पर वह अपने भाई को बुलाने उसके चाचा के घर गई थी, लेकिन वहां उसके भाई के न मिलने पर वह घर वापस आ रही थी, रास्ते में अभियुक्त राजुल मिला तथा उसने बालिका का बांया हाथ बुरी नियत से पकड लिया और छेडखानी करने लगा, बालिका ने उसका हाथ झटक कर छुडाया तो अभियुक्त ने बालिका के गाल में थप्पड मार दिए, फिर वह छूटकर वहां से भागी तो अभियुक्त भी पीछे से आ गया, तब वह पडोस के घर में घुस गई, अभियुक्त ने वहां भी बालिका को डण्डा मारा जो उसके बाएं हाथ की कलाई में लगा, जिससे सूजन आ गई। पीडिता की आवाज सुनकर आस-पडोस के लोगों ने आकर उसे बचाया, फिर अभियुक्त गाली देते हुए भाग गया। उसके बाद बालिका ने मां व चाचा के साथ थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना छानबीला पुलिस ने धारा 354, 354घ, 506 भादंसं, धारा-8/12, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू), 3(1)(द), 3(1)(ध) अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।