– राकेश अचल
आपको और हमें भले पता हो या न हो लेकिन आस-पडौस के लोगों को पता है कि हमारे इंडिया में ‘फॉग’ चल रहा है। इंडिया में एक लम्बी सुरंग में एक सप्ताह से 41 मजदूरों कोई जिंदगियों के दीपक धीरे-धीरे बुझ रहे हैं, लेकिन पूरा देश खेल के मैदान के साथ ही सियासत के मैदान पर भी क्रिकेट खेलने में लगा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री जी राजस्थान में अपनी चुनावी रैली में क्रिकेट की भाषा बोल रहे थे। लेकिन हमारे टीवी चैनल हमें लगातार चेता रहे हैं कि देश में और कुछ चल रहा हो या न चल रहा हो किन्तु फॉग जरूर चल रहा है।
अहमदाबाद में हम क्रिकेट का विश्वकप हार गए, लेकिन हमें कोई परवाह नहीं। खेल आखिर खेल है, इसमें हार-जीत चलती रहती है। हमारे खिलाडियों ने पूरे प्राण-पण से खेला। वे देश के लिए खेलते हैं, किसी पार्टी के लिए। उनके खेल को धर्म या पार्टी की राजनीति से नहीं जोडा जा सकता। मैं तो ऐसी कोशिशों का हमेशा विरोध करता हूं। मुझे तो अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने नाम पर बनाए गए स्टेडियम में विश्वकप का खेल देखने गए। लेकन मुझे ये भी बुरा लगा कि वे खेल की समाप्ति के पहले ही मैदान छोड गए। कितना बेहतर होता कि वे अपने हाथों से ऑस्ट्रेलिया के खिलाडियों को विश्वकप ट्रॉफी देते। लेकिन राजनीति करने वाले खेल भावना का सम्मान करना क्या जानें? वे तो केवल और केवल फॉग में यकीन करते हैं।
कहने को फॉग एक सुगंध बेचने वाली कम्पनी के एक उत्पाद का नाम है, लेकिन यहां फॉग को धुंध भी तो कहा जाता है। आज-कल देश के भविष्य पर एक तरह की धुंध छाई हुई है। ये धुंध उस सुरंग जैसी है जिसमें पिछले नौ दिन से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। हम चन्द्रयान को चन्द्रमा तक पहुंचाने में समर्थ हो गए, किन्तु 41 मजदूरों को उस सुरंग से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हो पा रहे जो हमने खुद खोदी है। हम केवल प्रकृति से ही नहीं बल्कि देश के भविष्य से उसी तरह खिलवाड कर रहे हैं जिस तरह मजदूरों की जिंदगियों से। हमें पहाड खोदने की जरूरत क्या है? हम एक के बाद एक त्रासदियों से भी सबक नहीं ले रहे।
दअरसल हम सबक लेना जानते ही नहीं है। हमारी सरकार को तो सबक सिखाना आता है। पिछले दस साल से सरकार अपने विरोधयों और देश की जनता को सबक ही तो सिखाती आ रही है। विरोधियों को सबक सीखने के लिए ईडी और सीबीआई है और जनता को सबक सिखाने के लिए महंगाई है। जनता उफ तक नहीं कर पा रही है। एक के बाद एक झूठ सुनने और उस पर यकीन करने के लिए अभिशप्त है। जनता की अभिशाप मुक्ति का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। एक के बाद एक विधानसभा चुनाव हार चुकी सत्तारूढ़ भाजपा किसी भी पराजय से सबक लेने को राजी ही नहीं है। उसे न पराजय का गम है और न मणिपुर के राख होने का। एक अजीब सी अहमन्यता की शिकार है हमारी सरकार। शायद इसी अहमन्यता को दुनिया मजाक में ‘फॉग’ कह रही है।
देश को कृतज्ञ होना चाहिए ‘फॉग’ बनाने वाली कंपनी का, जो कम से कम विज्ञापन के जरिये ही सही लेकिन सच तो कह रही है। ‘फॉग’ के लिए बनाया गया विज्ञापन दुनिया के सामने एक हकीकत बयान कर रहा है। कभी-कभी विज्ञापन हकीकत के बहुत निकट पहुंच जाते हैं। जैसे एक विज्ञापन था ‘सारे घर के बदल दूंगा’। दुर्भाग्य ये है कि देश की जनता इन विज्ञापनों की भाषा भी समझ नहीं पाती। उसके सामने चुनावी रैलियों के जरिये नेतागण इतना झूठ परोस चुके होते हैं कि जनता को सच और झूठ में फर्क समझ ही नहीं आता। पूरे परिदृश्य में फॉग ही फॉग है। कुछ नजर ही नहीं आ रहा। इस फॉग को जल्द से जल्द हत्ये जाने का समय आ गया है।
देश का दुर्भाग्य है कि चाल, चरित्र और चेहरे में सबसे अलग दिखने वाली भाजपा के पास अब अपनी भाषा तक नहीं बची है। छोटे से लेकर बडे नेता तक को क्रिकेट की भाषा में राजनीति की बात करना पड रही है। चूरू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण इसका ताजातरीन उदाहरण है। वे कह रहे थे कि ‘कांग्रेस वाले एक-दूसरे को रनआउट करने में लगे हैं। जो बचे हैं, वे महिलाओं और अन्य मुद्दों पर गलत बयान देकर हिट विकेट हुए जा रहे हैं। बांकी जो हैं, वे पैसे लेकर, रिश्वत लेकर मैच फिक्सिंग कर लेते हैं।’ मोदी जी भूल जाते हैं कि वे जिस प्रदेश में मैच फिक्सिंग की बात कर रहे थे, उसी प्रदेश में उनकी ईडी के अफसर रिश्वत लेते पकडे जा चुके हैं।
हमारे एक पंडित जी कह रहे थे कि राजनीति में फॉग की वजह शनि की साढ़े साती है। मुमकिन है कि यह तीन दिसंबर से कमजोर पड जाए, कमजोर पडी तो ठीक, अन्यथा अभी अगले साल की मई-जून तक ये देश और देशवासियों पर भारी पडेगी। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी को बचने कि लिए हमारी सरकार ने हर मुमकिन कोशिश की है, लेकिन नतीजा अभी तक ‘ढाक के तीन पात’ से ज्यादा नहीं निकला है। सारे प्रयास एक धुंध कि नीचे धुंधले पडते नजर आ रहे हैं। इस धुंध कि पीछे केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कि बेटे के वीडियो का झुठ-सच भी दब गया है, जो शायद ही सामने आए। दुआ कीजिये की फॉग और शनि की साढे साती का असर जल्द से जल्द समाप्त हो, ताकि देश एक ताजा हवा में सांस ले सकें।