रविन्द्र बौहरे
सीवर प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में घटिया तरीके से कराया गया निर्माण
10 साल बाद खत्म हो जाएगी गारंटी
भिण्ड, 19 नवम्बर। भिण्ड शहर में सीवर प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण का कार्य बहुत ही घटिया तरीके से कराया गया है। जिसके चलते आए दिन सीवर लाइन चोक हो रही हैं। जब इसकी शिकायत शहरवासी नगर पालिका अधिकारियों से करते हैं तो वह समस्या को दिखवाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड लेते हैं। पहले चरण में शहर के जिन इलाकों में सीवर लाइन डाली गई है, वहां चालू होने के बाद से ही सीवर लाइन चोक होना शुरू हो गई है। जिससे समस्या उपजने से लोगों की परेशानी बढ गई है।
जानकारी के अनुसार अमृत योजना के तहत शहर में 84 करोड रुपए की लागत से प्रथम चरण में आधे हिस्से में सीवर लाइन बिछाई गई है। पहले शहरवासी सडकों के खुदने से परेशान रहे और जब सीवर लाइन चालू हुई तो इसके चोक होने की समस्या आ रही है। ऐसी स्थिति इसके शुरू होने तत्काल बाद से बनने लगी थी। हालात यह है कि शहर के मुख्य इलाकों में ही लाइन चोक हो रही है। सीवर लाइन चोक होने के बाद चेंबर खोले जाने से आवागमन भी बाधित होता है। इस बारे में जब नगर पालिका के अधिकारियों से बात की जाती है तो उनका जवाब होता है कि दस साल तक सीवर लाइन चलाने की जिम्मेदारी निर्माण कराने वाली कंपनी है। लेकिन दस साल बाद कंपनी की गारंटी खत्म हो जाएगी, तब इसका क्या हाल होगा। इस सवाल पर वह मौन हो जाते हैं।
प्रोजेक्ट को लेकर बरती लापरवाही
शहर के मुख्य मार्गों पर कई साल पहले ही सीवर लाइन डाल दी गई थी। यह तीन दशक तक बिना किसी अवरोध के चली। इसके बाद इस पर आबादी बढने के साथ दबाव बढा तो इसमें अवरोध आने लगे फिर भी चलती रही। जब शहरी क्षेत्र विस्तारित हुआ तो अमृत योजना के तहत सीवरेज की स्वीकृति हुई। लेकिन पहले चरण में हुए काम की कोई मॉनिटरिंग नहीं कराई गई। जिसका खामियाजा वार्डवासियों को भुगतना पड रहा है।
नहीं कराया गया सडकों का पेंचवर्क
बताया गया है कि जब सीबर प्रोजेक्ट का कार्य निर्माण कंपनी को सौंपा गया था, तो उसमें शर्त थी कि सीबर लाईन डालने के दौरान जो भी सडक खोदी जाएगी, उसका निर्माण सीबर कंपनी को ही कराना होगा। किंतु अधिकारियों की लापरवाही के चलते शहर की गलियों के सीबर निर्माण के लिए खोदी गईं सडकों का पेंचवर्क कंपनी द्वारा नहीं कराया गया है। जिससे स्थानीय नागरिकों को आवागमन में समस्या का सामना करना पडता है।